श्री एकविरा देवी पालखी: कार्ला गड़ की कुलस्वामिनी का भक्तिमय उत्सव-1-🚩 🔱 🌊

Started by Atul Kaviraje, October 04, 2025, 09:44:46 PM

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Atul Kaviraje

श्री एकविरा देवी पालखी-कारला, तालुका-मावळ-

यह तिथि (2 अक्टूबर 2025) विजयादशमी (दशहरा) का महापर्व है, जो देवी की दोनों चैत्र और शारदीय नवरात्रि के बाद की यात्राओं में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, हालांकि एकविरा देवी की सबसे बड़ी यात्रा चैत्र नवरात्रि में होती है। दशहरे पर भी देवी के दर्शन और पालखी का विशेष महत्व रहता है।

श्री एकविरा देवी पालखी: कार्ला गड़ की कुलस्वामिनी का भक्तिमय उत्सव-

तिथि: 02 अक्टूबर, 2025 (गुरुवार) - विजयादशमी

🚩 🔱 🌊 कोली, आग्री और सकल महाराष्ट्र की श्रद्धा 🥁 ✨

महाराष्ट्र के पुणे जिले में, लोनावाला के निकट कार्ला की पहाड़ियों पर विराजमान आई एकविरा देवी, लाखों भक्तों, विशेषकर कोली (मच्छुआरा) और आग्री समुदायों की कुलस्वामिनी हैं। देवी रेणुका माता (भगवान परशुराम की माता) का ही अवतार मानी जाती हैं। देवी की पालखी यात्रा (Palkhi Sohala) भक्तों की अटूट श्रद्धा, भक्ति और सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत संगम है। पालखी, जिसे भक्त अपने कंधों पर उठाकर ले जाते हैं, 'आई राजा उदो उदो' के जयघोष से पूरे कार्ला गढ़ को गुंजायमान कर देती है। यह लेख उस पवित्र यात्रा के भक्ति भाव और महत्व को समर्पित है, जो हर भक्त के हृदय में शक्ति, विजय और आस्था का संचार करती है।

लेख के 10 प्रमुख बिंदु (उदाहरण, प्रतीक और इमोजी सहित)

1. देवी एकविरा का ऐतिहासिक और पौराणिक आधार (Historical and Mythological Basis) 🏛�
पांडवों का निर्माण: पौराणिक मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान एक ही रात में किया था। देवी ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया कि वे अज्ञातवास में पहचाने नहीं जाएँगे।

बौद्ध गुफाओं से संबंध: यह मंदिर प्राचीन कार्ला की गुफाओं (बौद्ध चैत्य) के निकट स्थित है, जो इस स्थान की ऐतिहासिक महत्ता को दर्शाता है।

इमोजी: मंदिर 🏛� और गुफा ⛰️।

2. पालखी का स्वरूप और महत्व (The Form and Significance of the Palkhi) 🚩
पालखी: पालखी देवी की चल मूर्ति होती है, जिसे विशेष रूप से सजाया जाता है। यह देवी के भक्तों के बीच जाने का प्रतीक है।

भक्ति यात्रा: पालखी के माध्यम से भक्त देवी को अपने बीच महसूस करते हैं और पैदल चलकर अपनी आस्था और तपस्या व्यक्त करते हैं।

प्रतीक: पालखी 🪅 और ध्वज 🚩।

3. भक्त समुदाय और कुलस्वामिनी (Devotee Community and Kulswamini) 🐠
कोली और आग्री समाज: देवी एकविरा मुख्य रूप से कोली, आग्री (खासकर कोंकण और मुंबई के तटीय क्षेत्र) तथा सोने-चाँदी के व्यापारियों (SKP) जैसे कई समुदायों की कुलस्वामिनी हैं।

संबंध: ये समुदाय देवी को अपनी 'आई माऊली' (माता) मानकर पूजते हैं और हर वर्ष यात्रा में शामिल होते हैं।

इमोजी: मछली 🐠 (कोली समाज का प्रतीक) और समुदाय 🧑�🤝�🧑।

4. पालखी मार्ग और परंपरा (Palkhi Route and Tradition) 🛣�
यात्रा का आरंभ: कई पालखियाँ, विशेष रूप से चैत्र नवरात्रि में, मुंबई के चेंबूर, ठाणे, पनवेल आदि से सैकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा करके कार्ला गढ़ पहुँचती हैं।

पारंपरिक सम्मान: पालखी यात्रा में शामिल लोगों का स्थानीय ग्रामवासी और अन्य भक्त भक्तिभाव से स्वागत करते हैं, जिससे सामाजिक सद्भाव का माहौल बनता है।

उदाहरण: भक्तों द्वारा रास्ते में भंडारा और जलपान की व्यवस्था करना।

5. पारंपरिक वाद्य और जयघोष (Traditional Instruments and Chants) 🥁
वाद्य: पालखी के साथ पारंपरिक ढोल, ताशे, हलगी और अन्य वाद्य यंत्रों का एक विशेष गजट होता है।

जयघोष: भक्तगण जोर-जोर से 'आई राजा उदो उदो!', 'आई माऊलीचा उदो उदो!', 'जय एकविरा!' के नारे लगाते हैं, जो वातावरण को भक्तिमय ऊर्जा से भर देते हैं।

इमोजी: ढोल 🥁 और ऊँची आवाज़ 📣।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-02.10.2025-गुरुवार.
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