श्री खंडोबा यात्रा-मंगसुली: 'मैलार मार्तंड' का विजयोत्सव-1-🐎 ⚔️ 💛

Started by Atul Kaviraje, October 04, 2025, 09:46:23 PM

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Atul Kaviraje

श्री खंडोबा यात्रा-मंगसुली, तालुका-अथणी-

यह तिथि (2 अक्टूबर 2025) विजयादशमी (दशहरा) का महापर्व है, जो खंडोबा की शारदीय नवरात्रि के दौरान होने वाली यात्रा (उत्सव) का एक प्रमुख दिन है। मंगसुली में विशेषकर चैत्र शुद्ध दशमी को बड़ा उत्सव होता है, लेकिन दशहरे (आश्विन शुद्ध दशमी) को भी पालखी सोहला, आपटा पूजन और 'लंगर तोड़ना' जैसी महत्वपूर्ण धार्मिक क्रियाएं होती हैं।

श्री खंडोबा यात्रा-मंगसुली: 'मैलार मार्तंड' का विजयोत्सव-

तिथि: 02 अक्टूबर, 2025 (गुरुवार) - विजयादशमी

🐎 ⚔️ 💛 'यळकोट यळकोट जय मल्हार' 🔔 ✨

श्री क्षेत्र मंगसुली (तालुका-अथणी, कर्नाटक) भगवान खंडोबा का एक अत्यंत जागृत और प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। खंडोबा, जिन्हें मल्हारी मार्तंड और मैलार के नाम से भी जाना जाता है, भगवान शिव के रौद्र अवतार हैं, जिन्होंने मणि और मल्ल नामक दुष्ट दैत्यों का संहार किया था। यह स्थान महाराष्ट्र और कर्नाटक के लाखों भक्तों, विशेषकर धनगर और कुरुबा समुदाय के लोगों के लिए कुलदैवत का सर्वोच्च केंद्र है। विजयादशमी के दिन यहाँ होने वाला उत्सव, जिसे स्थानीय रूप से यात्रा कहा जाता है, भक्तों की वीरतापूर्ण आस्था, परंपरा और 'भंडारा' (हल्दी) की सुनहरी वर्षा से सराबोर होता है।

लेख के 10 प्रमुख बिंदु (उदाहरण, प्रतीक और इमोजी सहित)

1. श्री खंडोबा: शिव का मार्तंड भैरव अवतार (Khandoba: Martand Bhairav Avatar of Shiva) 🔱
पौराणिक आधार: खंडोबा भगवान शिव के मार्तंड भैरव अवतार हैं, जिन्होंने संसार को आतंकित करने वाले मणि और मल्ल दैत्यों को परास्त कर मानवता की रक्षा की।

अर्थ: 'खंडोबा' नाम उनके हाथ में धारण किए गए 'खड्ग' (तलवार) से आया है। उन्हें सूर्य के समान तेजस्वी होने के कारण मार्तंड भी कहा जाता है।

इमोजी: त्रिशूल 🔱 और सूर्य ☀️।

2. मंगसुली क्षेत्र का ऐतिहासिक महत्व (Historical Significance of Mangsuli) 🏰
प्राकट्य: जनश्रुति के अनुसार, खंडोबा यहाँ नलदुर्ग से आकर चैत्र शुद्ध दशमी के दिन मंदार वृक्ष के नीचे प्रकट हुए थे।

मंदिर शैली: मंदिर हेमाडपंथी शैली में निर्मित है और इसे लगभग 1000 वर्ष पुराना माना जाता है, जो इस क्षेत्र की प्राचीन भक्ति परंपरा को दर्शाता है।

प्रतीक: किला/कोटा 🏰 और पेड़ 🌳।

3. दशमी (दशहरा) यात्रा का विशेष स्वरूप (Special Form of the Dashami Yatra) ⚔️
पालखी सोहला: शारदीय नवरात्रि के दौरान अश्विन शुद्ध दशमी (दशहरा) की संध्या को यहाँ पालखी सोहला (यात्रा) निकलता है, जिसमें खंडोबा और उनकी पत्नियों म्हाळसा और बाणाई की उत्सव मूर्तियों को ले जाया जाता है।

आपटा पूजन: यह दशहरे की पारंपरिक क्रिया है, जिसमें आपटा वृक्ष की पूजा करके सोने (प्रतीकात्मक रूप से पत्तियाँ) का आदान-प्रदान किया जाता है, जो विजय और समृद्धि का प्रतीक है।

इमोजी: तलवार ⚔️ और पत्ता 🍁।

4. 'लंगर तोड़ने' की अनूठी परंपरा (The Unique Tradition of 'Langar Todna') ⛓️
लंगर: मंगसुली में एक पंचधातु मिश्रित लोहे की जंजीर (लंगर) है, जिसमें 27 नक्षत्रों की 27 कड़ियाँ हैं।

भविष्यवाणी: वर्ष में दो बार (चैत्र और आश्विन दशमी) भविष्य की भविष्यवाणी करने के लिए इस लंगर को एक पत्थर पर मारकर तोड़ा जाता है।

उदाहरण: यदि लंगर टूटता है, तो उसे उस वर्ष की समृद्धि और अच्छी वर्षा का संकेत माना जाता है।

इमोजी: जंजीर ⛓️ और पत्थर 🗿।

5. भंडारा का अद्भुत महात्म्य (The Great Significance of Bhandara) 💛
हल्दी की वर्षा: खंडोबा की यात्रा में भंडारा (हल्दी पाउडर) को हवा में उछालने की परंपरा है। यह भक्तों के लिए सोने की वर्षा का प्रतीक है।

जयघोष: हल्दी की इस सुनहरी वर्षा के बीच भक्तगण पूरे जोश के साथ "यळकोट यळकोट जय मल्हार!" और "सदानंदाचा येळकोट!" का जयघोष करते हैं।

इमोजी: हल्दी 💛 और घंटी 🔔।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-02.10.2025-गुरुवार.
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