हनुमान और उनका 'मुक्ति' और 'करुणा' का दर्शन-

Started by Atul Kaviraje, October 05, 2025, 10:47:41 AM

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Atul Kaviraje

हनुमान और उनका 'मुक्ति' और 'करुणा' का दर्शन-

हनुमान और उनका 'मुक्ति' और 'करुणा' का दर्शन: हिंदी कविता-

1. प्रथम चरण
पवनपुत्र हनुमान हैं, मुक्ति के आधार।
दास-भाव ही मोक्ष है, करुणा का सार।।
राम नाम की शक्ति से, मिटता हर बन्धन।
अहंकार को त्यागकर, होता आत्म-मन्थन।।

(हिंदी अर्थ): पवनपुत्र हनुमान मुक्ति के आधार हैं। उनके लिए दास-भाव ही मोक्ष है और करुणा ही जीवन का सार है। राम नाम की शक्ति से हर बंधन मिट जाता है। अहंकार को त्यागने से ही आत्म-चिंतन होता है।

2. द्वितीय चरण
बल-बुद्धि और ज्ञान की, अद्भुत त्रिवेणी धार।
सेवा का पथ चुन लिया, करके अहंकार पार।।
जपते सदा श्री राम को, मन में अखंड प्रेम।
जीवन का यह दर्शन, सबसे ऊँचा नेम।।

(हिंदी अर्थ): आप बल, बुद्धि और ज्ञान की अद्भुत त्रिवेणी धारा हैं। अहंकार को पार करके आपने सेवा का मार्ग चुना। आप सदा श्री राम का जाप करते हैं, मन में अटूट प्रेम है। जीवन का यह दर्शन सबसे ऊँचा नियम है।

3. तृतीय चरण
लंका जा कर सीता को, दिया प्रभु का संदेश।
हर दुखियारे जीव का, हरते सदा क्लेश।।
संजीवनी बूटी लाकर, दिया लक्ष्मण को जीवन।
परोपकार की मूरत, करुणा भरा तन।।

(हिंदी अर्थ): आपने लंका जाकर सीता को प्रभु राम का संदेश दिया। आप हमेशा हर दुखी जीव के क्लेश को हरते हैं। संजीवनी बूटी लाकर आपने लक्ष्मण को जीवनदान दिया। आप परोपकार की मूर्ति हैं, आपका शरीर करुणा से भरा है।

4. चतुर्थ चरण
विनय से जीत लिया, आपने हर युद्ध।
विनम्रता की राह पर, होते सदा शुद्ध।।
शरणागति के भाव में, समर्पण है पूरा।
ईश्वर पर विश्वास ही, मुक्ति की मजदूरी।।

(हिंदी अर्थ): आपने विनय से हर युद्ध जीत लिया। विनम्रता की राह पर चलने वाले हमेशा शुद्ध होते हैं। शरणागति के भाव में पूर्ण समर्पण है। ईश्वर पर विश्वास ही मुक्ति का प्रतिफल (मजदूरी) है।

5. पंचम चरण
सुग्रीव या विभीषण, सबको दिया साथ।
हर एक पीड़ित के सिर पर, रखा करुणा का हाथ।।
कर्म किया निष्काम ही, फल की नहीं चाहत।
यही मुक्ति का सूत्र है, जीवन की राहत।।

(हिंदी अर्थ): सुग्रीव हो या विभीषण, आपने सबको साथ दिया। हर पीड़ित के सिर पर आपने करुणा का हाथ रखा। आपने निष्काम कर्म किया, फल की इच्छा नहीं रखी। यही मुक्ति का सूत्र है, जो जीवन में राहत देता है।

6. षष्ठ चरण
आशा की मुद्रिका दी, निराशा के क्षण में।
धीरज की शिक्षा मिली, हर कठिन जतन में।।
ज्ञान की ज्योति जगाकर, पाया स्वयं का धाम।
जीवन में ही मुक्त हैं, जपते राम का नाम।।

(हिंदी अर्थ): निराशा के क्षण में आपने आशा की मुद्रिका (अंगूठी) दी। हर कठिन प्रयास में हमें धैर्य की शिक्षा मिली। ज्ञान की ज्योति जलाकर आपने स्वयं का स्थान प्राप्त किया। राम का नाम जपते हुए आप जीवन में ही मुक्त हैं।

7. सप्तम चरण
सच्चा पराक्रम सेवा है, प्रेम ही कल्याण।
हनुमान का यह दर्शन, सबसे ऊँचा ज्ञान।।
जय बजरंगबली देव की, जय जयकार हो।
हर मनुष्य के हृदय में, मुक्ति का द्वार हो।।

(हिंदी अर्थ): सच्ची वीरता सेवा है, और प्रेम ही कल्याण है। हनुमान का यह दर्शन सबसे महान ज्ञान है। बजरंगबली देव की जय-जयकार हो। हर मनुष्य के हृदय में मुक्ति का द्वार खुल जाए।

--अतुल परब
--दिनांक-04.10.2025-शनिवार.
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