शनि प्रदोष व्रत - भक्ति, कृपा और कल्याण-'शनि प्रदोष का पावन दिवस'-

Started by Atul Kaviraje, October 05, 2025, 10:18:52 PM

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Atul Kaviraje

शनि प्रदोष-

शनि प्रदोष व्रत - भक्ति, कृपा और कल्याण-

हिंदी कविता: 'शनि प्रदोष का पावन दिवस'-

थीम: शनि प्रदोष व्रत, शिव-शनि भक्ति, और जीवन में कल्याण।

1. प्रथम चरण: दिन का आरंभ
आज है पावन शनि प्रदोष,
त्रयोदशी का है शुभ संयोग।
शिव-शनि की भक्ति का जोश,
मिटेंगे सारे मन के रोग।

हिंदी अर्थ: आज शनिवार के दिन त्रयोदशी तिथि का शुभ संयोग है, जिसे शनि प्रदोष कहते हैं। यह दिन भगवान शिव और शनिदेव की भक्ति का उत्साह भरता है, जिससे मन के सारे दुःख-रोग दूर हो जाते हैं।

2. द्वितीय चरण: व्रत का संकल्प
उठकर भोर, गंगाजल 💦 स्नान,
स्वच्छ वस्त्र पहन करें प्रणाम।
हाथ जोड़ लें व्रत का संकल्प 🤞 मान,
सफल हो जाए यह उत्तम काम।

हिंदी अर्थ: सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगाजल मिले पानी से स्नान करें। पवित्र वस्त्र पहनकर भगवान को प्रणाम करें और हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लें, ताकि यह शुभ कार्य सफल हो।

3. तृतीय चरण: शिव का अभिषेक
शिवलिंग पर दूध और जल धारा,
बेलपत्र और धतूरा 🌿 चढ़ाएँ।
भोलेनाथ की लीला है न्यारी,
'ॐ नमः शिवाय' गुनगुनाएँ।

हिंदी अर्थ: शिवलिंग पर दूध और जल की धारा चढ़ाएँ। साथ ही बेलपत्र और धतूरा भी अर्पित करें। भगवान शिव की लीला अद्भुत है, उनकी महिमा का बखान करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करें।

4. चतुर्थ चरण: प्रदोष काल की महिमा
जब गोधूलि वेला आए,
प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त हो।
शिव तांडव वहाँ हो जाए,
हर इच्छा पूरी, हर कष्ट दूर हो।

हिंदी अर्थ: जब संध्याकाल (गोधूलि वेला) आए और प्रदोष काल का शुभ समय हो, उस समय पूजा करने से ऐसा लगता है मानो शिव का तांडव हो रहा है। इस समय की गई प्रार्थना से हर इच्छा पूरी होती है और हर दुःख-तकलीफ दूर होती है।

5. पंचम चरण: शनिदेव की उपासना
पीपल पर दीपक 🪔 तेल का जलाएँ,
काले तिल और उड़द भी अर्पित हों।
न्याय के देव को हम मनाएँ,
साढ़ेसाती के दुःख समाप्त हों।

हिंदी अर्थ: पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएँ। शनिदेव को काले तिल और उड़द भी चढ़ाएँ। हम न्याय के देवता शनिदेव को प्रसन्न करें, जिससे साढ़ेसाती और ढैया के कष्ट समाप्त हो जाएँ।

6. षष्ठम चरण: कथा और दान का महत्व
प्रेम से सुनें व्रत की कथा 📖 सार,
दान-पुण्य से भरें अपना जीवन।
गरीबों को करें अन्न का उपहार,
तभी तो सफल होगा यह अर्चन।

हिंदी अर्थ: प्रेम और श्रद्धा से शनि प्रदोष व्रत की कथा सुनें। दान और अच्छे कर्मों से अपने जीवन को भरें। गरीब और ज़रूरतमंदों को अन्न का दान करें, तभी यह पूजा और व्रत पूरी तरह से सफल होगा।

7. सप्तम चरण: फल और प्रार्थना
संतान सुख मिले, सौभाग्य बढ़े,
जीवन में आए सुख और शांति।
शिव-शनि की कृपा सदा ही गढ़े,
हो दूर हर अंधकार 🌑 की भ्रांति।

हिंदी अर्थ: इस व्रत से संतान का सुख प्राप्त हो, सौभाग्य में वृद्धि हो और जीवन में सुख-शांति आए। भगवान शिव और शनिदेव की कृपा हमेशा बनी रहे, और जीवन से हर तरह की अज्ञानता व दुःख का अँधेरा दूर हो जाए।

--अतुल परब
--दिनांक-04.10.2025-शनिवार.
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