श्री भैरवनाथ यात्रा - खोलवाडी, वाई-'खोलवाडी के भैरवनाथ'-

Started by Atul Kaviraje, October 05, 2025, 10:20:37 PM

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Atul Kaviraje

भैरवनाथ यात्रा-खोलवाडी, तालुका-वIई-

श्री भैरवनाथ यात्रा - खोलवाडी, वाई-

हिंदी कविता: 'खोलवाडी के भैरवनाथ'-

थीम: भैरवनाथ का उग्र रूप, यात्रा का उल्लास और भक्तों की श्रद्धा।

1. प्रथम चरण: यात्रा का आरंभ
खोलवाडी में भैरवनाथ की धूम,
आज शनिवार, जत्रा का दिन।
भक्ति का पुण्य लेकर घूम,
मन से सारा कष्ट हो भिन्न।

हिंदी अर्थ: खोलवाडी गाँव में भैरवनाथ की यात्रा का उत्सव है, आज शनिवार को जत्रा का दिन है। भक्त भक्ति का पुण्य लेकर मंदिर के चारों ओर घूमते हैं, जिससे मन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

2. द्वितीय चरण: भैरव का स्वरूप
शिव का काल रूप 💀 है भैरव,
क्रोध में भी दिखता प्यार।
क्षेत्र की करें सदा रक्षा, अब,
मिटाएँ हर बाधा का भार।

हिंदी अर्थ: भैरवनाथ भगवान शिव का रौद्र रूप हैं, जिनके क्रोध में भी भक्तों के लिए प्रेम झलकता है। वे हमेशा अपने क्षेत्र की रक्षा करते हैं और भक्तों के हर बाधा का बोझ दूर करते हैं।

3. तृतीय चरण: भक्तों की भीड़
लाखों भक्त कंधों पर पालकी 🛺 धरे,
जयकारों से गूँजे आकाश।
नारियल और तेल अर्पण करें,
पूरी हो सबकी मन की आस।

हिंदी अर्थ: लाखों भक्त अपने कंधों पर भैरवनाथ की पालकी उठाए हुए हैं, और उनके जयकारों से आकाश गूँज रहा है। भक्त नारियल और तेल अर्पित करते हैं, ताकि उनकी सभी मनोकामनाएँ पूरी हों।

4. चतुर्थ चरण: शनि प्रदोष का योग
आज शनिदेव भी हुए प्रसन्न,
शिव की पूजा का शुभ संयोग।
दूर हो साढ़ेसाती का विघ्न,
मिट जाए हर मानसिक रोग।

हिंदी अर्थ: आज शनि प्रदोष व्रत होने से शनिदेव भी प्रसन्न हैं, क्योंकि शिव के रूप भैरवनाथ की पूजा का शुभ अवसर है। इस योग से साढ़ेसाती की बाधा दूर हो जाती है और सभी मानसिक कष्ट मिट जाते हैं।

5. पंचम चरण: प्रसाद और नवस
बनता है दही-गुड़ का नैवेद्य,
महाप्रसाद मिलकर खाएँ।
नवस उतारें जो रखा था वैद्य,
मामा की महिमा सब जन गाएँ।

हिंदी अर्थ: मंदिर में दही और गुड़ का नैवेद्य (भोग) बनता है, और सभी भक्त मिलकर महाप्रसाद ग्रहण करते हैं। भक्त अपनी रखी हुई मन्नतें (नवस) उतारते हैं, और सभी लोग भैरवनाथ की महिमा का गुणगान करते हैं।

6. षष्ठम चरण: ग्रामीण संस्कृति
ढोल-ताशों 🥁 की हो धुमाल,
दंगल और मेला भी सजता।
जुड़े रिश्ते-नाते हर हाल,
गाँव का जीवन यहाँ रमता।

हिंदी अर्थ: ढोल और ताशों की तेज़ आवाज़ गूँज रही है, और कुश्ती (दंगल) तथा मेला भी लगा है। इस अवसर पर सभी रिश्तेदार और मित्र मिलते हैं, जिससे ग्रामीण जीवन का आनंद दिखाई देता है।

7. सप्तम चरण: कल्याण की प्रार्थना
रक्षक हैं तुम खोलवाडी के नाथ,
सदा ही अपना हाथ ✋ रखना।
कल्याण हो सबका दिन-रात,
भक्ति की ज्योत सदा सदा तकना।

हिंदी अर्थ: हे खोलवाडी के नाथ भैरव, आप हमारे रक्षक हैं। आप हमेशा अपना आशीर्वाद भरा हाथ हमारे सिर पर रखना। सभी का दिन-रात कल्याण हो, और भक्ति की ज्योति हमेशा जलती रहे।

--अतुल परब
--दिनांक-04.10.2025-शनिवार.
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