फत्तेयाजदहम 'ग्यारहवीं शरीफ' - गौस-ए-आजम का पर्व-'गौस-ए-आजम की ग्यारहवीं'-

Started by Atul Kaviraje, October 05, 2025, 10:23:19 PM

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Atul Kaviraje

फत्तेयाजदहम ग्यारहवी शरीफ-

फत्तेयाजदहम 'ग्यारहवीं शरीफ' - गौस-ए-आजम का पर्व-

हिंदी कविता: 'गौस-ए-आजम की ग्यारहवीं'-

थीम: गौस-ए-आजम की महिमा, ग्यारहवीं शरीफ का उल्लास और ईसाले-सवाब का महत्त्व।

1. प्रथम चरण: ग्यारहवीं की आमद
आज ग्यारहवीं की शुभ घड़ी है आई,
रबी-उल-आखिर का माह है पाक।
गौस-ए-आजम की याद समाई,
खुशबू फैली, दूर हुआ हर बाक़।

हिंदी अर्थ: आज ग्यारहवीं शरीफ का शुभ समय आया है, यह रबी-उल-आखिर का पवित्र महीना है। गौस-ए-आजम की याद हर तरफ समा गई है, खुशबू फैल गई है और हर बुराई दूर हो गई है।

2. द्वितीय चरण: पीराने पीर
पीराने पीर 👑 हैं उनका नाम,
जिलानी हैं उनका खिताब महान।
बग़दाद शरीफ में मुकम्मल मकाम,
दीन को किया उन्होंने पुनर्जीवन दान।

हिंदी अर्थ: 'पीरों में पीर' (पीराने पीर) उनका नाम है, और जिलानी उनका महान खिताब है। बग़दाद शरीफ में उनका मुकम्मल मज़ार है, जिन्होंने दीन (धर्म) को पुनर्जीवन प्रदान किया।

3. तृतीय चरण: फातिहा और नियाज़
घर-घर में फातिहा की महफ़िल सजे,
कुरआन की तिलावत का नूर है खास।
नियाज़ का लंगर सब में बँटे,
पूरी हो मन की हर आस।

हिंदी अर्थ: हर घर में फातिहा की महफ़िल सजी है, कुरआन की तिलावत का खास नूर है। नियाज़ (प्रसाद) का लंगर सब में बँट रहा है, जिससे मन की हर इच्छा पूरी हो।

4. चतुर्थ चरण: ईसाले-सवाब का दिन
ये दिन है ईसाले-सवाब का नेक,
पुण्य पहुँचे गौस-ए-आजम को।
अल्लाह की रहमते बरसाए एक,
दूर करे दुनिया के हर गम को।

हिंदी अर्थ: यह दिन ईसाले-सवाब (पुण्य पहुँचाने) का नेक दिन है, जिससे गौस-ए-आजम को पुण्य पहुँचे। अल्लाह अपनी रहमतें बरसाए, और दुनिया के हर दुख को दूर करे।

5. पंचम चरण: सेवा का पैगाम
सिखलाया उन्होंने खिदमत 🤝 का पाठ,
इंसानियत ही सबसे बड़ी है इबादत।
गरीबों को खाना दो हर बाट,
यही है मुहब्बत और नेक आदत।

हिंदी अर्थ: उन्होंने सेवा (खिदमत) का पाठ सिखाया, इंसानियत की सेवा ही सबसे बड़ी इबादत है। हर जगह गरीबों को खाना दो, यही मोहब्बत और अच्छी आदत है।

6. षष्ठम चरण: सद्भाव की ज्योति
मुहब्बत का पैगाम है हर सूफी कलाम,
भाईचारा फैलाओ, न करो झगड़ा।
बग़दाद से आया अमन 🕊� का सलाम,
दीन और दुनिया में हो अच्छा रगड़ा।

हिंदी अर्थ: हर सूफी कलाम मोहब्बत का पैगाम है, भाईचारा फैलाओ, झगड़ा मत करो। बग़दाद से अमन का सलाम आया है, जिससे दीन (धर्म) और दुनिया दोनों में भलाई हो।

7. सप्तम चरण: दुआ की क़ुबूलियत
आज की दुआ हो कुबूल 🤲 मौला,
नेक राह पर चलना है काम।
ग्यारहवीं से भर जाए झोला,
हर जगह अमन और इस्लाम।

हिंदी अर्थ: आज की दुआ (प्रार्थना) अल्लाह कबूल करे, नेक रास्ते पर चलना ही हमारा काम है। ग्यारहवीं शरीफ से हमारा झोला (जीवन) भर जाए, और हर जगह अमन और इस्लाम (शांति) कायम हो।

--अतुल परब
--दिनांक-04.10.2025-शनिवार.
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