🙏 धुळगावकर महाराज जयंती - नृसिंहवाडी 🙏-

Started by Atul Kaviraje, October 06, 2025, 02:12:36 PM

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Atul Kaviraje

धुळगावकर महाराज जयंती-नृसिंहवाडी-

🙏 धुळगावकर महाराज जयंती - नृसिंहवाडी 🙏-

🌸 हिंदी कविता - धुळगावकर महाराज जयंती 🌸-

1. प्रथम चरण (चरण 1)
गुरु चरण धूलगाँव के, पावन नृसिंह धाम।
आश्विन त्रयोदशी शुभ्र, गूँजे गुरु का नाम।।
म्हादबा पाटील महाराज, दत्त-कृपा अवतार।
वंदन करे सकल लोक, पाते हैं सद्भार।।

हिंदी अर्थ: धुळगावकर महाराज के चरण और नृसिंहवाडी का पावन धाम। आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को गुरु का नाम गूँजता है। म्हादबा पाटील महाराज, जो दत्त-कृपा के अवतार हैं, उन्हें सभी लोग वंदन करते हैं और उनसे सद्भाग्य प्राप्त करते हैं।

2. द्वितीय चरण (चरण 2)
कृष्णा-पंचगंगा संगम, जहाँ दत्त का वास।
बारह वर्ष सरस्वती, पूर्ण किया अभ्यास।।
उसी भूमि पर विराजे, धुळगावकर संत।
त्याग-वैराग्य की गाथा, जिसका नहीं है अंत।।

हिंदी अर्थ: जहाँ कृष्णा और पंचगंगा नदियों का संगम होता है, वहाँ भगवान दत्तात्रेय का वास है। श्री नृसिंह सरस्वती ने बारह वर्षों तक वहीं तपस्या की। उसी पवित्र भूमि पर धुळगावकर संत विराजते हैं, जिनकी त्याग और वैराग्य की कथा अनंत है।

3. तृतीय चरण (चरण 3)
सादगी थी वेश में, धोती-कोट और पटका।
निष्काम कर्म किया सदा, नहीं पैसे को भटका।।
हाथ में रहती काठी, ज्ञान का देते दान।
भक्तों का दुःख हरते, करते सबका त्राण।।

हिंदी अर्थ: उनकी वेशभूषा में सादगी थी, धोती, कोट और सिर पर पटका (पगड़ी)। उन्होंने हमेशा निष्काम कर्म किया और धन-दौलत से दूर रहे। हाथ में काठी रखकर वे ज्ञान का दान देते थे और भक्तों के दुखों को हरकर सबका कल्याण करते थे।

4. चतुर्थ चरण (चरण 4)
विदेही अवस्था में, सदा रहे वो लीन।
ईश्वर से जुड़े तार, रात और दिन।।
हर क्षेत्र में विचरण, नृसिंहवाडी है ठिकाना।
गुरुवर की महिमा का, जग ने मान है जाना।।

हिंदी अर्थ: वे हमेशा विदेही (देह-भान रहित) अवस्था में लीन रहते थे। उनका तार दिन-रात ईश्वर से जुड़ा रहता था। हर क्षेत्र में विचरण करते हुए भी नृसिंहवाडी उनका मुख्य निवास स्थान है। गुरुदेव की इस महिमा को पूरे संसार ने स्वीकार किया है।

5. पंचम चरण (चरण 5)
गुरु रामानंद खटावकर, जिनसे मिला आधार।
दत्त भक्ति का मार्ग, किया जगत में प्रचार।।
समाधि ली उसी धाम, जहाँ पादुका का वास।
अमर हो गए महाराज, हर क्षण भक्त के पास।।

हिंदी अर्थ: गुरु रामानंद खटावकर से उन्हें आध्यात्मिक आधार मिला। उन्होंने दत्त भक्ति के मार्ग का पूरे विश्व में प्रचार किया। उन्होंने उसी धाम में समाधि ली जहाँ श्री नृसिंह सरस्वती की पादुकाएँ हैं। इस प्रकार महाराज अमर हो गए और हर क्षण अपने भक्तों के पास रहते हैं।

6. षष्ठम चरण (चरण 6)
जयंती का दिन आया, मन में भरा है हर्ष।
महापूजा अभिषेक, हर मन हुआ उत्कर्ष।।
दीप जलाएँ घी के, हो गुरु के गुणगान।
धुळगाँवकर महाराज, हमारा करें कल्याण।।

हिंदी अर्थ: जयंती का दिन आया है और मन में खुशी भर गई है। महापूजा और अभिषेक से हर मन में उत्साह और उल्लास है। हम घी के दीपक जलाएँ और गुरु के गुणों का गान करें। धुळगावकर महाराज हमारा कल्याण करें।

7. सप्तम चरण (चरण 7)
दत्त नाम का जयघोष, मन में हो विश्वास।
गुरु कृपा से मिटता, हर दुख और निराशा।।
महाराज की लीलाएँ, देती हैं नव प्रेरणा।
भक्ति-पथ पर चलें हम, यही है कामना।।

हिंदी अर्थ: दत्त नाम का जयकारा हो और मन में दृढ़ विश्वास हो। गुरु की कृपा से हर दुख और निराशा मिट जाती है। महाराज की लीलाएँ हमें नई प्रेरणा देती हैं। हम सब भक्ति के मार्ग पर चलें, यही हमारी इच्छा है।

--अतुल परब
--दिनांक-05.10.2025-रविवार.
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