⚔️ भवानी देवी उत्सव (तुळजापूर): शक्ति और भक्ति का महासंगम 🪷-1-⚔️👑🚩🙏💪

Started by Atul Kaviraje, October 07, 2025, 09:47:05 AM

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Atul Kaviraje

भवानी देवी उत्सव-तुळजापूर-

06 अक्टूबर, 2025 को कोजागिरी पूर्णिमा के अवसर पर, तुळजा भवानी मंदिर, तुळजापूर में विशेष उत्सव का आयोजन होगा, जिसमें देवी की मूर्ति की सिंहासन पर प्रतिष्ठापना की जाती है और कोजागिरी पूर्णिमा मनाई जाती है। यह लेख इसी विशेष पर्व और मंदिर के महत्व पर केंद्रित है।

तिथि: 06 अक्टूबर, 2025 - सोमवार

⚔️ भवानी देवी उत्सव (तुळजापूर): शक्ति और भक्ति का महासंगम 🪷-

भवानी देवी उत्सव, विशेष रूप से महाराष्ट्र की कुलस्वामिनी माता श्री तुळजा भवानी के पवित्र निवास तुळजापूर में मनाया जाने वाला एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। यद्यपि मंदिर का मुख्य उत्सव शारदीय नवरात्रि है, लेकिन 06 अक्टूबर, 2025 को पड़ने वाली कोजागिरी पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा) को भी यहाँ विशेष धार्मिक अनुष्ठान होते हैं। यह वह दिन है जब देवी के भक्त उनकी विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, और मान्यता के अनुसार, नवरात्रि के बाद माता की सिंहासन पर विशेष प्रतिष्ठापना भी इसी काल में की जाती है। यह उत्सव केवल धार्मिक नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी रखता है।

🌟 प्रतीक (Symbols), चित्र (Pictures) और इमोजी सारansh (Emoji Summary) 🪷

मुख्य प्रतीक: तुळजा भवानी की मूर्ति 🪷, भवानी तलवार ⚔️, छत्रपति शिवाजी महाराज 👑, शक्तिपीठ 🚩

भाव: भक्ति 🙏, शक्ति 💪, विजय 🏆, कुलदेवी 🛡�

इमोजी सारansh: 🪷⚔️👑🚩🙏💪

विवेकनपूर्ण विस्तृत लेख (Detailed and Analytical Article)
1. पर्व का परिचय और तिथि 📅

उप-बिंदु   विवरण
1.1 मुख्य पर्व   तुळजापूर में प्रमुख उत्सव शारदीय नवरात्रि (आश्विन शुद्ध प्रतिपदा से नवमी तक) और कोजागिरी पूर्णिमा 🌕 हैं।
1.2 06 अक्टूबर 2025 का महत्व   इस दिन कोजागिरी पूर्णिमा का विशेष आयोजन होता है, जिसमें देवी की विशेष पूजा और कुछ मान्यताओं के अनुसार उनकी सिंहासन पर प्रतिष्ठापना की जाती है।
1.3 'भवानी' का अर्थ   'भवानी' शब्द का अर्थ है जीवन देने वाली या जगत को धारण करने वाली मूल शक्ति (आदिशक्ति)।

2. तुळजा भवानी मंदिर का ऐतिहासिक महत्व 👑

उप-बिंदु   विवरण
2.1 महाराष्ट्र की कुलस्वामिनी   तुळजा भवानी महाराष्ट्र की कुलस्वामिनी और अनेक मराठा तथा अन्य समुदायों की कुलदेवी हैं।
2.2 छत्रपति शिवाजी महाराज   माता भवानी छत्रपति शिवाजी महाराज 👑 की आराध्य देवी थीं। यह माना जाता है कि देवी ने स्वयं प्रकट होकर उन्हें भवानी तलवार ⚔️ प्रदान की थी, जिससे उन्हें स्वराज्य स्थापित करने की प्रेरणा मिली।
2.3 मंदिर का काल   यह मंदिर यादव कालीन माना जाता है, जिसका इतिहास 12वीं शताब्दी तक जाता है।

3. शक्तिपीठ और पौराणिक कथा 🚩

उप-बिंदु   विवरण
3.1 शक्तिपीठ   तुळजा भवानी मंदिर भारत के साढ़े तीन शक्तिपीठों में से एक और 51 शक्तिपीठों में भी शामिल है।
3.2 महिषासुर मर्दिनी स्वरूप   यहाँ देवी ने कुकुर नामक दैत्य का वध किया था। यह मूर्ति अष्टभुजा वाली, महिषासुर मर्दिनी के रूप में स्थापित है, जो दुष्टों का नाश करने वाली है।
3.3 त्वरिता/तुरजा   भक्तों की पुकार पर तुरंत सहायता के लिए आने के कारण देवी को त्वरिता, और फिर तुरजा/तुळजा कहा गया।

4. 06 अक्टूबर (कोजागिरी) के विशेष अनुष्ठान 🌕

उप-बिंदु   विवरण
4.1 सिंहासन पर प्रतिष्ठापना   नवरात्रि की अवधि में देवी को मंचकी निद्रा दी जाती है। कोजागिरी पूर्णिमा के आसपास (या इस दिन) देवी को पुनः सिंहासन पर प्रतिष्ठित किया जाता है।
4.2 छबिना उत्सव   इस अवसर पर देवी की उत्सव मूर्ति को चाँदी की अंबारी में रखकर एक प्रदक्षिणा (परिक्रमा) कराई जाती है, जिसे छबिना कहा जाता है।
4.3 विशेष महापूजा   इस दिन कोजागिरी पूर्णिमा की विशेष महापूजा और अलंकार पूजा की जाती है, जिसमें खीर का भोग भी लगाया जाता है।

5. देवी की मूर्ति का स्वरूप 🛡�

उप-बिंदु   विवरण
5.1 मूर्तिकला   देवी की स्वयंभू मूर्ति तीन फुट ऊँची और काले पत्थर की बनी है।
5.2 अष्टभुजा   देवी की आठ भुजाएँ हैं, जिनमें वे विभिन्न शस्त्र धारण किए हुए हैं, जो उनकी यौद्धा देवी 💪 की छवि को दर्शाती हैं।
5.3 अभय मुद्रा   एक हाथ में अभय मुद्रा है, जो भक्तों को सुरक्षा और आशीर्वाद का संदेश देती है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-06.10.2025-सोमवार. 
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