🙏 राऊळ महाराज जयंती-पिंगुळी: दत्त अवतार और नामस्मरण की शक्ति ✨-1-🙏🌳🕉️🧘🍚💫

Started by Atul Kaviraje, October 07, 2025, 09:48:44 AM

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Atul Kaviraje

राऊळ महाराज जयंती-पिंगुळी-

परमपूज्य श्री समर्थ राऊळ महाराज जयंती उत्सव प्रतिवर्ष कोजागिरी पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। चूँकि 06 अक्टूबर 2025 को कोजागिरी पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा) है, अतः इस दिन यह पावन जयंती उत्सव मनाया जाएगा।

तिथि: 06 अक्टूबर, 2025 - सोमवार (कोजागिरी पूर्णिमा)

🙏 राऊळ महाराज जयंती-पिंगुळी: दत्त अवतार और नामस्मरण की शक्ति ✨-

परमपूज्य श्री समर्थ राऊळ महाराज सिंधुदुर्ग जिले (कोकण क्षेत्र, महाराष्ट्र) के पिंगुळी गाँव से संबंधित एक महान सद्गुरु और दत्त संप्रदाय के संत माने जाते हैं। उन्हें 'पिंगुळीचे ब्रह्मयोगी' के नाम से भी जाना जाता है। उनकी जयंती का पावन पर्व प्रतिवर्ष कोजागिरी पूर्णिमा 🌕 के दिन पिंगुळी स्थित उनके आश्रम में बड़े उत्साह और भक्ति-भाव के साथ मनाया जाता है। यह उत्सव केवल एक जन्म दिवस समारोह नहीं है, बल्कि कठोर साधना, गुरु-शिष्य परंपरा और नामस्मरण की शक्ति का प्रतीक है।

🌟 प्रतीक (Symbols), चित्र (Pictures) और इमोजी सारansh (Emoji Summary) 🪷

मुख्य प्रतीक: दत्त महाराज 🐶, औदुंबर वृक्ष 🌳, नामस्मरण 🕉�, समाधि 🧘, अन्नदान 🍚

भाव: भक्ति 🙏, ज्ञान 🧠, तपस्या 🔥, सेवा 🫂, गुरु कृपा 💫

इमोजी सारansh: 🙏🌳🕉�🧘🍚💫

विवेकनपूर्ण विस्तृत लेख (Detailed and Analytical Article)
1. पर्व का परिचय और तिथि 📅

उप-बिंदु   विवरण
1.1 मुख्य पर्व   परमपूज्य श्री समर्थ राऊळ महाराज की जयंती, जो प्रतिवर्ष कोजागिरी पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा) 🌕 को मनाई जाती है।
1.2 06 अक्टूबर 2025 का आयोजन   इस दिन पिंगुळी स्थित उनके समाधि मंदिर में विशेष पूजा, अभिषेक, पालखी मिरवणूक (पालकी जुलूस) और महाप्रसाद (अन्नदान) का आयोजन होगा।
1.3 प्रमुख स्थान   यह उत्सव सिंधुदुर्ग जिले के कुडाळ तालुका में स्थित पिंगुळी गाँव में मनाया जाता है।

2. राऊळ महाराज: दत्त अवतार और ब्रह्मयोगी ✨

उप-बिंदु   विवरण
2.1 दत्तावतार   भक्तों द्वारा श्री समर्थ राऊळ महाराज को दत्तात्रेय भगवान 🐶 का अवतार माना जाता है, जो उनकी परम आध्यात्मिक शक्ति का परिचायक है।
2.2 ब्रह्मयोगी   उन्हें 'पिंगुळीचे ब्रह्मयोगी' कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने लंबे समय तक एक छोटी सी कोठरी में कठोर ध्यान साधना 🧘 की थी, बिना कुछ खाए-पिए।
2.3 ज्ञान और नामस्मरण   महाराज को ज्ञानेश्वरी मुखोद्गत थी और उन्होंने भक्तों को नामस्मरण 🕉� की शक्ति का महत्व समझाया।

3. कठोर ध्यान साधना और तपस्या 🔥

उप-बिंदु   विवरण
3.1 तपस्या काल   महाराज ने लगभग 27 वर्षों (1945 से 1972) तक कठोर तपस्या की, जिसमें वे कई महीनों तक निराहार रहकर ध्यान में लीन रहते थे।
3.2 कोठरी का महत्व   जिस छोटी-सी कोठरी में उन्होंने साधना की, वह आज भी भक्तों के लिए तपस्या का प्रतीक है।

4. गुरु-शिष्य परंपरा और वारसदार 💫

उप-बिंदु   विवरण
4.1 शिष्य परंपरा   राऊळ महाराज की आध्यात्मिक परंपरा को उनके भतीजे और आध्यात्मिक वारसदार परमपूज्य श्री समर्थ अण्णा महाराज 🫂 द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है।
4.2 पिंगुळी का विकास   अण्णा महाराज के प्रयासों से पिंगुळी क्षेत्र आज एक जागतिक दर्जा के तीर्थक्षेत्र में बदल गया है, जिसे 'प्रति पंढरपूर' भी कहा जाता है।

5. अन्नदान सेवा का महात्म्य 🍚

उप-बिंदु   विवरण
5.1 गुरु की आज्ञा   राऊळ महाराज की आज्ञा का पालन करते हुए, पिंगुळी संस्थान में अहोरात्र अन्नदान सेवा 🍚 चलाई जाती है, जो यहाँ के प्रमुख आयोजनों में से एक है।
5.2 सेवाभाव   यह सेवा संस्था के परोपकार और मानवता के प्रति समर्पण को दर्शाती है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-06.10.2025-सोमवार. 
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