श्री रोकडेश्वर कोजागिरी उत्सव, रहिमतपूर: आस्था, परंपरा और अमृत-वर्षा का संगम-1-

Started by Atul Kaviraje, October 07, 2025, 09:55:55 AM

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Atul Kaviraje

रोकडेश्वर कोजागिरी उत्सव-रहिमतपूर-

रहिमतपूर (सातारा जिला) में श्री रोकडेश्वर देवता की यात्रा/उत्सव कोजागिरी पूर्णिमा के दिन साढ़े तीन सौ वर्षों से भी अधिक समय से बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

तिथि: 06 अक्टूबर, 2025 - सोमवार (कोजागिरी पूर्णिमा)

🌕 श्री रोकडेश्वर कोजागिरी उत्सव, रहिमतपूर: आस्था, परंपरा और अमृत-वर्षा का संगम 🐘-

रहिमतपूर (जिला सतारा, महाराष्ट्र) अपनी ऐतिहासिक पहचान के साथ-साथ श्री रोकडेश्वर देवता के भव्य कोजागिरी उत्सव के लिए प्रसिद्ध है। यह उत्सव साढ़े तीन सौ वर्षों से अधिक पुरानी एक अनूठी परंपरा है, जो शरद पूर्णिमा या कोजागिरी पूर्णिमा (06 अक्टूबर 2025) की रात को आयोजित होता है। इस रात को जहाँ संपूर्ण महाराष्ट्र में माता लक्ष्मी 🪷 की पूजा और खीर का अमृत संचार होता है, वहीं रहिमतपूर में श्री रोकडेश्वर देवता 🕉� और इंद्र देव 🐘 की विशेष यात्रा (जत्रा) निकाली जाती है, जो इसे महाराष्ट्र के अन्य कोजागिरी उत्सवों से अलग पहचान देती है।

रोकडेश्वर नाम का अर्थ 'रोकड' (नकद धन/तुरंत फल) और 'ईश्वर' (देवता) से जुड़ा है, जिसका तात्पर्य है तुरंत मनोकामना पूर्ण करने वाले देवता। यह उत्सव भक्ति, वैभव, सांस्कृतिक विरासत और ग्रामीण एकता का एक अद्भुत मिश्रण है।

🌟 प्रतीक (Symbols), चित्र (Pictures) और इमोजी सारansh (Emoji Summary) 🪷

मुख्य प्रतीक: रोकडेश्वर शिवलिंग 🕉�, हाथी पर मिरवणूक 🐘, कोजागिरी चंद्र 🌕, ढोल-ताशा 🥁, पैसा/धन 💰

भाव: भक्ति 🙏, परंपरा 📜, वैभव ✨, तुरंत लाभ 🏆

इमोजी सारansh: 🕉�🐘🌕💰🎉🙏

विवेकनपूर्ण विस्तृत लेख (Detailed and Analytical Article)
1. उत्सव का परिचय और ऐतिहासिक विरासत 📜

उप-बिंदु   विवरण
1.1 देवता का नाम   श्री रोकडेश्वर - मान्यता है कि ये शिवजी का एक ऐसा स्वरूप हैं जो तुरंत फल (रोकड) देते हैं और भक्तों की आर्थिक इच्छाएँ पूर्ण करते हैं।
1.2 उत्सव का नाम   कोजागिरी उत्सव (शरद पूर्णिमा)। यह उत्सव 350 वर्षों से अधिक पुरानी अध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का वहन करता है।
1.3 रहिमतपूर का गौरव   यह उत्सव रहिमतपूर गाँव का सबसे बड़ा पर्व है, जो गाँव की पहचान और सामुदायिक भावना का प्रतीक है।

2. कोजागिरी पूर्णिमा का विशेष महत्व 🌕

उप-बिंदु   विवरण
2.1 चंद्रकला और अमृत   06 अक्टूबर 2025 को चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहेगा, जिसकी किरणें अमृत 💧 का संचार करेंगी, जिससे वातावरण भक्तिमय और स्वास्थ्यवर्धक हो जाता है।
2.2 जागरण की रात   यह रात 'को जागर्ति' (कौन जाग रहा है) के सिद्धांत पर आधारित है, जहाँ भक्तजन रातभर जागरण 🔔 कर देवता का आह्वान करते हैं।

3. हत्ती (हाथी) पर मिरवणूक की अनोखी परंपरा 🐘

उप-बिंदु   विवरण
3.1 मानकऱ्याची मिरवणूक   इस उत्सव की सबसे अनूठी विशेषता है गाँव के मानकरी (प्रमुख व्यक्ति) की हाथी पर बैठकर 🐘 निकाली जाने वाली भव्य मिरवणूक (जुलूस)।
3.2 इंद्र-लक्ष्मी का प्रतीक   यह परंपरा संभवतः कोजागिरी के मूल तत्त्व देवराज इंद्र 🐘 (वैभव) और देवी लक्ष्मी 🪷 (धन) की पूजा से जुड़ा है, जहाँ मानकरी को इंद्र देव का प्रतीक माना जाता है।
3.3 शोभायात्रा   हाथी, घोड़े और पारंपरिक ढोल-ताशा 🥁 के साथ यह मिरवणूक गाँव के मुख्य मार्गों से गुजरती है, जिसमें लाखों भक्त शामिल होते हैं।

4. पूजा विधि और विशेष आयोजन 🕉�

उप-बिंदु   विवरण
4.1 रोकडेश्वर की पूजा   मंदिर को फूलों की आकर्षक सजावट 🌸 और दिव्यों की रोशनाई 🪔 से सजाया जाता है। शिवलिंग पर विशेष अभिषेक और महापूजा की जाती है।
4.2 पंचोपचार   देवता को धूप, दीप, रोली, चंदन, अक्षत और कमल के पुष्प अर्पित किए जाते हैं।
4.3 रात भर जागरण   भक्त रात भर मंदिर परिसर में भजन, कीर्तन और सामुदायिक पूजा करते हैं।

5. खीर प्रसाद और स्वास्थ्य लाभ 🍚

उप-बिंदु   विवरण
5.1 अमृत प्रसाद   कोजागिरी की परंपरा के अनुसार, खीर 🍚 बनाकर उसे रातभर चंद्रमा की चाँदनी में रखा जाता है।
5.2 वितरण   इस अमृतमयी खीर को अगले दिन महाप्रसाद के रूप में सभी भक्तों में वितरित किया जाता है, जिससे आरोग्य 💪 और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-06.10.2025-सोमवार. 
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