"शुभ दोपहर, बुधवार मुबारक हो"दोपहर के सूरज के साथ शांत नदी तट ☀️🏞️🌿

Started by Atul Kaviraje, October 09, 2025, 05:16:48 PM

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Atul Kaviraje

"शुभ दोपहर, बुधवार मुबारक हो"

दोपहर के सूरज के साथ शांत नदी तट

दोपहर के सूरज के साथ शांत नदी तट ☀️🏞�🌿

चरण (Charan)   हिंदी कविता (Hindi Kavita)

I   नदी बहती है, चाँदी के धागे सी, जहाँ मेरी सारी चिंताएँ दूर हो सकती हैं। दोपहर गर्म और चमकदार है, उदार, पीले प्रकाश में नहाई हुई।

II   कीचड़ वाले, काईदार किनारे पर, मुझे एक शांत जगह मिली है। घास मुलायम है, एक मखमली आसन, थके हुए पैरों के लिए एक स्वागत योग्य आराम।

III   पानी गाता है, एक कोमल धुन, ऊँची दोपहर की गर्मी के नीचे। यह अनजाने स्थानों की कहानियाँ फुसफुसाता है, चाँदी की मछलियों और हरी काई की।

IV   सूरज की किरणें छोटी लहरों पर नाचती हैं, और छायाएँ दीवार के विपरीत फैलती हैं पुराने पेड़ों की, जिनकी शाखाएँ झुकी हुई हैं, नदी के चलते हुए दृश्य को देखने।

V   गहने के रंग का एक पतंगा (Dragonfly), बस संक्षेप में नई दुनिया को जाँचता है। वह पास मंडराता है, फिर तेज़ी से दूर चला जाता है, दिन की छोटी सी आत्मा।

VI   शांत बगुला (Heron) इतना ऊँचा खड़ा है, कुछ नहीं माँगता, सब कुछ देता है अपनी शांत छवि, धारा पर, इस दिन के सपने का एक जीवंत हिस्सा।

VII   तो घंटों को धीरे से फिसलने दो, मेरे लिए अब छिपाने को कुछ नहीं। यह धूप वाली शांति, यह बहता हुआ अनुग्रह, इस जगह की भावना को नया करता है।

--अतुल परब
--दिनांक-08.10.2025-बुधवार.
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