जंगल का गौरव (Jangal Ka Gaurav)-

Started by Atul Kaviraje, October 09, 2025, 05:40:01 PM

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Atul Kaviraje

"I never saw a wild thing sorry for itself. A small bird will drop frozen dead from a bough without ever having felt sorry for itself."
— D. H. Lawrence-अंग्रेजी उपन्यासकार,
     कवि, नाटककार, निबंधकार, साहित्यिक आलोचक और चित्रकार

विषय: डी. एच. लॉरेन्स का विचार - "मैंने कभी किसी जंगली चीज को अपने लिए दुखी होते नहीं देखा। एक छोटा पक्षी खुद के लिए कभी अफसोस महसूस किए बिना एक डाल से जम कर मृत होकर गिर जाएगा।"

जंगल का गौरव (Jangal Ka Gaurav)-

चरण (Charan)   हिंदी कविता (Hindi Kavita)

१   हवा चाहे कितनी भी बर्फीली फूंक मारे,
भूखे भेड़िये को शिकार पर जाना ही होता है।
कोई जंगली चीज़ रुककर रोती नहीं है,
वह उन शांत वादों को निभाती है जो उसे निभाने हैं।

२   पेड़ पर बैठा नन्हा-सा पक्षी,
वह अपना जीवन पूरी तरह से आज़ाद जीता है।
जब सर्दी आती है और जीवन पूरा होता है,
वह सूरज की गर्मी पर कभी शोक नहीं करता।

३   न पिछली झलक, न गहरा हताशा का भाव,
वह बर्फीली हवा में अपनी साँस थामे रखता है।
वह बस गिर जाता है, एक पंखों वाला दुर्भाग्य,
फीकी होती रोशनी में एक छोटी सी परछाई।

४   क्योंकि स्वयं पर दया एक मानव-निर्मित बेड़ी है,
मूसलाधार बारिश में एक भारी लंगर।
प्राणी को दुःख की पकड़ का पता नहीं,
उसकी कहानी काँसे की है, सोने की तरह नरम नहीं।

५   यदि असफलता आए या कठिनाई पुकारे,
मज़बूत दिल गिरने से पहले ही उठ जाता है।
पक्षी के त्वरित पतन से सबक लें,
गरिमा के साथ खड़े होने और अपना सब कुछ देने का।

६   यह पूछने की ज़रूरत नहीं, "आज मेरे साथ ही क्यों?"
जंगली चीज़ के पास प्रार्थना करने का समय नहीं होता।
वह निडर आँखों से तूफानों का सामना करता है,
वह कभी सवाल नहीं करता कि उसकी मृत्यु कैसे होगी।

७   तो दुनिया को अपनी चाल देखने दें,
और अपने आंतरिक दुःख को गहराई से भीतर रखें।
प्राणी की तरह बनें, बहादुर और स्पष्ट,
स्वयं पर दया का कोई अफसोस भरा निशान न छोड़ें।

--अतुल परब
--दिनांक-09.10.2025-गुरुवार.
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