ज्येष्ठ अपत्य निरंजन ओवाळणी:-"ज्येष्ठ अपत्य को माँ का नेह"-

Started by Atul Kaviraje, October 10, 2025, 04:49:52 PM

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Atul Kaviraje

ज्येष्ठ अपत्य निरंजन ओवाळणी: संतान के दीर्घायु और समृद्धि का पर्व-

हिंदी कविता: "ज्येष्ठ अपत्य को माँ का नेह"-

चरण 1: पूर्णिमा की शुभ रात 🌕
आश्विन माह की पूर्णिमा, आई शुभ ये रात।
चाँद ने बरसाया अमृत, है सोलह कला की बात।
घर-घर में उत्सव छाया, खुशियों की बरसात।
ज्येष्ठ संतान की पूजा, लिए माँ चली है साथ।
हिन्दी अर्थ: आश्विन महीने की इस पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी पूरी सोलह कलाओं से चमक रहा है, और चारों ओर खुशियाँ हैं। इस शुभ रात्रि में माँ अपनी बड़ी संतान की पूजा करने चली है।

चरण 2: आरती की पावन थाली 🪔
कुमकुम, चावल, दीपक लेकर, सजी हुई है थाली।
माँ का हृदय प्रेम से भरा, ममता है मतवाली।
संतान बैठी सम्मुख उसके, माथे लगा है रोली।
सुरक्षित रहे मेरा लाल, यह प्रार्थना है बोली।
हिन्दी अर्थ: माँ ने कुमकुम, चावल और दीपक से आरती की थाली सजाई है। उसका हृदय प्रेम से भरा है। संतान सामने बैठी है और माँ ने उसके माथे पर तिलक लगाया है, और यह प्रार्थना कर रही है कि उसका बच्चा हमेशा सुरक्षित रहे।

चरण 3: सुरक्षा चक्र का फेरा 🛡�
दीपक का पावन फेरा, घुमाती है चारों ओर।
नजर लगे ना बुरी कभी, हो जीवन में ना शोर।
ज्येष्ठ अपत्य की रक्षा का, ये है कवच कठोर।
माँ की शक्ति से मिट जाए, हर विपदा का जोर।
हिन्दी अर्थ: माँ दीपक को संतान के चारों ओर घुमाकर एक सुरक्षा चक्र बनाती है। यह सुरक्षा कवच संतान को बुरी नजर से बचाता है और जीवन में आने वाली हर विपदा को माँ की शक्ति से दूर कर देता है।

चरण 4: दीर्घायु का वरदान 🙏
आयु हो तेरी लंबी, तू जग में नाम कमाए।
सुख, समृद्धि, यश तेरा, चारों दिशा फैलाए।
ज्ञान-भक्ति की राह पर, तू बढ़ता ही जाए।
माँ के चरण छूकर संतान, आशीष तेरा पाए।
हिन्दी अर्थ: माँ संतान को लंबी उम्र का वरदान देती है और कामना करती है कि वह दुनिया में नाम कमाए तथा उसका सुख, समृद्धि और यश चारों दिशाओं में फैले।

चरण 5: खीर का अमृत प्रसाद 🥣
चाँदनी में रखी खीर, अमृत बन आई।
माँ अपने हाथों से खिलाए, प्रेम की परछाई।
रोग, दोष सब दूर हों, जब ये खीर खाई।
शक्ति और बल से पूर्ण, हो बालक की काई।
हिन्दी अर्थ: चंद्रमा की रोशनी में रखी हुई खीर अमृत के समान है। माँ अपने हाथों से उसे खिलाती है। इस खीर के सेवन से सभी रोग और दोष दूर होते हैं और संतान का शरीर बल और शक्ति से भर जाता है।

चरण 6: रिश्तों का ये बंधन 💖
ज्येष्ठ अपत्य, तू है घर का, सबसे बड़ा आधार।
तुझसे ही शुरू है वंश का, ये मीठा संसार।
भाई-बहनों का तू रक्षक, प्रेम का है भंडार।
बड़ों का मान रखेगा तू, यही है शुभ विचार।
हिन्दी अर्थ: माँ कहती है कि ज्येष्ठ संतान ही घर का सबसे बड़ा सहारा और आधार है। वही भाई-बहनों का रक्षक है, जो बड़ों का सम्मान करे और प्रेम का भंडार बने।

चरण 7: परंपरा की ये डोर ✨
पीढ़ी-दर-पीढ़ी चले ये, ममता का त्योहार।
संस्कृति की यह रीति है, परिवार का शृंगार।
ओवाळणी से जीवन हो, मंगलमय, सुखकार।
माँ का स्नेह अमर रहे, यही है सार-संभार।
हिन्दी अर्थ: यह ममता का त्योहार पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहे। यह हमारी संस्कृति और परिवार की शोभा है। यह आरती संतान के जीवन को मंगलमय और सुखी बनाती है। माँ का स्नेह हमेशा बना रहे, यही इस अनुष्ठान का मुख्य सार है।

--अतुल परब
--दिनांक-07.10.2025-मंगळवार.
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