गोवा का 'पेडणेची पुनव' भूतनाथ उत्सव-भूतनाथ का अलौकिक 'पुनव' पर्व 💖-💖🌙🙏🥁🔥🧿

Started by Atul Kaviraje, October 10, 2025, 04:55:58 PM

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Atul Kaviraje

भूतनाथ उत्सव-गोवा-

🚩 भक्ति-भावपूर्ण लेख: गोवा का 'पेडणेची पुनव' भूतनाथ उत्सव (07 अक्टूबर 2025 - मंगलवार) 🌙-

💖 हिंदी कविता: भूतनाथ का अलौकिक 'पुनव' पर्व 💖-

यह कविता गोवा के 'पेडणेची पुनव' उत्सव के भक्ति-भाव और लोकदेवता भूतनाथ के 'हठ' को दर्शाती है।

1. चरण
आश्विन की पूर्णिमा, चाँद गगनी चमके,
पेडणे गाँव में, भक्ति-दीप दमके।
भगवती के द्वार, रवळनाथ विराजें,
भूतनाथ संग, सब दुख-संताप भाजें।
अर्थ: अश्विन महीने की पूर्णिमा की रात है, आकाश में चंद्रमा चमक रहा है। पेडणे गाँव में भक्ति का दीपक जल रहा है। देवी भगवती के मंदिर में श्री रवळनाथ विराजमान हैं, जिनके साथ भूतनाथ होने से सारे दुख-कष्ट दूर हो जाते हैं। 🌙🙏

2. चरण
सजे रंगीन साड़ी, ऊँचा तरंग डोले,
देवों की महिमा, हर भक्त यूँ बोले।
सत्ताईस साड़ियाँ, भूतनाथ को प्यारी,
शुभता का प्रतीक, यह शोभा है न्यारी।
अर्थ: रंग-बिरंगी साड़ियों से सजा हुआ ऊँचा 'तरंग' (देवता का प्रतीक) हिल रहा है। हर भक्त देवताओं की महिमा का बखान कर रहा है। भूतनाथ के तरंग पर इक्कीस (यहाँ छंद के लिए सत्ताईस - २१ साड़ियाँ) साड़ियाँ लपेटी जाती हैं। यह अनुपम शोभा शुभ और मंगलकारी है। 🌈🔱

3. चरण
आधी रात आई, घुँघरुओं की झंकार,
'गड्डे' रूप धरें, हो अलौकिक संचार।
क्रोधित देव भागे, राना की वो राह,
मंदिर का हठ है, न माने प्रभु आह!
अर्थ: जैसे ही आधी रात होती है, घुंघरुओं की आवाज गूंजती है और 'गड्डे' (भक्त) में देवता का रूप आता है। देवता क्रोधित होकर जंगल की ओर भागने लगते हैं। उनका हठ है कि मंदिर एक ही रात में बने, और वे किसी की बात नहीं मानते। 🥁🔥

4. चरण
पीछे दौड़ें भक्त, प्रेम का वो ताना,
'बांध तू सायबा', हर मुख से तराना।
विनती भरी वाणी, चरणों में विश्वास,
शांत हो देव अब, पूरी होगी आस।
अर्थ: देवता के पीछे भक्त प्रेम और भक्ति से दौड़ते हैं। हर मुख से यही प्रार्थना निकलती है, "बांध तू सायबा" (शांत हो जाओ स्वामी!)। उनकी वाणी में विनती है और चरणों में अटूट विश्वास है कि देवता अब शांत हो जाएंगे और उनकी इच्छाएँ पूरी होंगी। 👥💖

5. चरण
अंधकार में मशाल, राह दिखाए भक्तों को,
भुतबाधा हर जाए, त्राण मिले दुखतों को।
ढोलों की थाप पर, नाचती आत्माएँ,
दुष्ट शक्ति भागे, जपती शुभ नामाएँ।
अर्थ: अँधेरे में मशालों की रोशनी भक्तों को रास्ता दिखाती है। यह अनुष्ठान बुरी आत्माओं के प्रभाव को दूर करता है और दुखी लोगों को मुक्ति दिलाता है। ढोल की ताल पर आत्माएँ शांत होती हैं, और दुष्ट शक्तियाँ प्रभु का नाम जपते ही दूर भाग जाती हैं। 🔥🧿

6. चरण
कौल का वचन, जीवन को दिशा दे,
हर भक्त को प्रभु, अपनी कृपा दे।
पीढ़ियों से चली, यह अद्भुत कहानी,
गोवा की संस्कृति, यह पहचान पुरानी।
अर्थ: देवता से मिला 'कौल' आशीर्वाद जीवन को सही राह दिखाता है। प्रभु हर भक्त को अपनी दया और आशीर्वाद देते हैं। यह अद्भुत कहानी पीढ़ियों से चली आ रही है और यह गोवा की पुरानी, अनूठी संस्कृति की पहचान है। 😇🗺�

7. चरण
पुनव की रात, एकता का संचार,
प्रेम और सद्भाव, भरा रहे संसार।
देव भूतनाथ की, जय हो आज भारी,
Paidne Punav Utsav, है सबसे प्यारी।
अर्थ: पूर्णिमा की यह रात एकता और प्रेम का संदेश फैलाती है, जिससे दुनिया में सद्भाव बना रहे। देव भूतनाथ की आज जय-जयकार हो, पेडणे पुनव उत्सव सबसे प्यारा और अनमोल है। 🌟🚩

कविता इमोजी सारांश: 💖🌙🙏🥁🔥🧿

--अतुल परब
--दिनांक-07.10.2025-मंगळवार.
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