रामभक्त शबरी माता पुण्यतिथी-चांदगव्हाण, तालुका-कोपरगाव, जिल्हा-नगर-💖🌟

Started by Atul Kaviraje, October 10, 2025, 04:57:54 PM

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Atul Kaviraje

रामभक्त शबरी माता पुण्यतिथी-चांदगव्हाण, तालुका-कोपरगाव, जिल्हा-नगर-

रामभक्त शबरी माता पर हिंदी कविता-

'प्रतीक्षा की अनमोल साधना' ⏳-

चरण 1: प्रतीक्षा की तपस्या
गुरु वचन पर शबरी माता, करती रही साधना।
राम नाम जपती रही, हर पल की उपासना।
झोंपड़ी के द्वार पर, बिछाती फूलों का आसन।
वर्षों बीतीं, न छोड़ा, प्रिय राम के आने का प्रण।

अर्थ: गुरु के कहने पर शबरी माता ने तपस्या की। वे हर पल राम का नाम जपती रहीं। अपनी कुटिया के द्वार पर वे फूलों का आसन बिछाती थीं। कई साल बीत गए, पर उन्होंने राम के आने का विश्वास नहीं छोड़ा। (प्रतीक: 👵⏳)

चरण 2: वन का सूनापन
पम्पा सरोवर तट पर, राह निहारे एक वृद्धा।
सूख गए सब झरने, पर टूटी न उनकी श्रद्धा।
हर दिन चुनती फल मीठे, चखती पहले हर बेर।
कहीं मेरा राम भूखा न रहे, मन में बस यही ढेर।

अर्थ: पम्पा सरोवर के किनारे एक बूढ़ी महिला (शबरी) रास्ता देख रही थीं। सारे झरने सूख गए, पर उनका विश्वास डिगा नहीं। वे रोज़ मीठे फल चुनती थीं और राम को मीठे बेर खिलाने के लिए उन्हें पहले चख लेती थीं। (प्रतीक: 🌳🍒)

चरण 3: राम का आगमन
सीता खोज में जब चले, प्रभु राम और लक्ष्मण वीर।
शबरी आश्रम में पहुँचे, तोड़कर सारी ज़ंजीर।
देख राम को माता बोली, "धन्य हुए मेरे भाग।"
चरण धोए आँसू से, छोड़ा हर राग विराग।

अर्थ: सीता जी को खोजते हुए भगवान राम और लक्ष्मण शबरी के आश्रम पहुँचे। राम को देखकर शबरी माता बोलीं, "मेरा भाग्य खुल गया।" उन्होंने अपने आँसुओं से राम के चरण धोए और सारे सांसारिक मोह त्याग दिए। (प्रतीक: 🏹💧)

चरण 4: जूठे बेर का भोग
प्रेम से भरकर लाई, टोकरी बेरों से भरी।
जूठे करके भोग लगाया, भक्ति भाव की डोरी।
राम ने खाए स्वाद से, लज्जा तनिक न आई।
दुनिया को दिखलाया प्रभु ने, भाव ही सबसे सचाई।

अर्थ: शबरी माता प्रेम से बेरों से भरी टोकरी लाईं। उन्होंने स्वयं चखकर (जूठा करके) राम को भोग लगाया। राम ने उन्हें बड़े स्वाद से खाया और ज़रा भी संकोच नहीं किया। प्रभु ने दुनिया को बताया कि केवल भाव ही सच्चा होता है। (प्रतीक: 🍒😋)

चरण 5: नवधा भक्ति का ज्ञान
राम ने उनसे कहा फिर, "शबरी, तेरा भाव महान।"
नवधा भक्ति का सार बताया, दिया उन्हें मोक्ष का ज्ञान।
शबरी को न चाहिए था, कोई धन, कोई सम्मान।
केवल प्रभु के दर्शन से ही, मिला उन्हें बैकुंठ धाम।

अर्थ: राम ने शबरी से कहा कि उनकी भक्ति महान है। उन्होंने उन्हें नवधा भक्ति का रहस्य समझाया और मोक्ष प्रदान किया। शबरी को धन-सम्मान की इच्छा नहीं थी। प्रभु के दर्शन मात्र से ही उन्हें मोक्ष मिल गया। (प्रतीक: 🙏💫)

चरण 6: पुण्यतिथि का संदेश
चांदगव्हाण में आज, उनकी पुण्यतिथि है आई।
शबरी के आदर्शों की, जग में गूँजे शहनाई।
भेदभाव को मिटाकर, राम प्रेम को अपनाओ।
निःस्वार्थ सेवा और भक्ति का, दीपक तुम जलाओ।

अर्थ: चांदगव्हाण में आज (स्थानीय मान्यतानुसार) शबरी माता की पुण्यतिथि है। उनके आदर्शों का संदेश पूरी दुनिया में गूँज रहा है। हमें भेदभाव मिटाकर राम प्रेम अपनाना चाहिए और निःस्वार्थ सेवा तथा भक्ति का दीप जलाना चाहिए। (प्रतीक: 🤝💡)

चरण 7: अंतिम प्रार्थना
07 अक्टूबर के दिन, हम शीश नवाते हैं।
शबरी जैसी भक्ति की, प्रभु से आस लगाते हैं।
कृपा करो हे राम, हर मन में तेरा वास हो।
चांदगव्हाण से बैकुंठ तक, प्रेम का प्रकाश हो।

अर्थ: 07 अक्टूबर के दिन हम शबरी माता को नमन करते हैं। हम प्रभु से शबरी माता जैसी भक्ति की कामना करते हैं। हे राम! कृपा करो कि हर मन में आपका निवास हो और चांदगव्हाण से लेकर मोक्षधाम तक प्रेम का उजाला फैले। (प्रतीक: 💖🌟)

--अतुल परब
--दिनांक-07.10.2025-मंगळवार.
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