पंत महाराज बाळेकुंद्री समाधी उत्सव प्रारंभ: प्रेम और गुरुभक्ति का महासंगम-🚩🪔

Started by Atul Kaviraje, October 10, 2025, 05:21:22 PM

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Atul Kaviraje

पंत महाराज बाळेकुंद्री समाधी उत्सव प्रIरंभ-बेळगाव-

पंत महाराज बाळेकुंद्री समाधी उत्सव प्रारंभ: प्रेम और गुरुभक्ति का महासंगम-

हिंदी कविता: 'पंत प्रेम की लहरी'-

'प्रेम और भक्ति का आधार' 🧡
चरण 1: आज बाळेकुंद्री में, उत्सव का आरंभ
आज बाळेकुंद्री में, उत्सव का आरंभ।
गुरु-भक्ति की लहर उठी, छूटा सारा दम्भ।
श्री पंत महाराज की, समाधि बनी धाम।
भक्तों के हृदय में, गूँजे उनका नाम।

अर्थ: आज बाळेकुंद्री में समाधि उत्सव का आरंभ हुआ है। गुरु के प्रति भक्ति की लहर उठी है, जिससे मन का सारा अहंकार दूर हो गया है। श्री पंत महाराज की समाधि एक तीर्थस्थल बन गई है, और भक्तों के दिल में उनका नाम गूँज रहा है। (प्रतीक: 🚩🪔)

चरण 2: प्रेमध्वज की उठी पावन यात्रा
प्रेमध्वज की उठी पावन यात्रा, भक्तों की लगी भीड़।
गुरु का सन्देश यही, 'प्रेम ही है सबकी नीड़'।
न कोई छोटा, न कोई बड़ा, सब एक समान।
पंतों की वाणी में, सच्चा आत्म-कल्याण।

अर्थ: प्रेम का प्रतीक ध्वज लेकर भक्तों की पवित्र यात्रा शुरू हुई है और भारी भीड़ लगी है। गुरु पंत महाराज का संदेश यही है कि प्रेम ही हम सबका आश्रय है। कोई छोटा-बड़ा नहीं, सब समान हैं। पंतों की वाणी में ही सच्चा आत्म-कल्याण छिपा है। (प्रतीक: 🚩🤝)

चरण 3: दत्त-पादुका का होता पूजन
दत्त-पादुका का होता पूजन, आरती गायी जाए।
औदुंबर की छाया में, भक्त शांति पाए।
'दत्त-प्रेम लहरी' के, भजन गूँजते हैं मधुर।
गुरु चरणों में झुके शीश, मिट जाए हर कसूर।

अर्थ: दत्त भगवान की पादुकाओं की पूजा होती है और आरती गाई जाती है। औदुंबर (गूलर) वृक्ष की शीतल छाया में भक्तों को शांति मिलती है। पंत महाराज द्वारा रचित 'दत्त-प्रेम लहरी' के मीठे भजन गूँज रहे हैं। गुरु के चरणों में सिर झुकाने से सारे दोष मिट जाते हैं। (प्रतीक: 🌳🎵)

चरण 4: ज्ञान की बातें, सेवा का भाव
ज्ञान की बातें हों, सेवा का हो भाव।
गृहस्थी में ही मोक्ष मिले, ऐसा पंत स्वभाव।
नित्य निरंजन दत्त, हर पल साथ रहें।
अंधविश्वास को छोड़कर, सत्य मार्ग पर चलें।

अर्थ: यहाँ ज्ञान की चर्चा होती है और सेवा का भाव रहता है। पंत महाराज ने सिखाया कि गृहस्थ जीवन में भी मोक्ष मिल सकता है। नित्य और शुद्ध दत्त भगवान हर पल हमारे साथ हैं। हमें अंधविश्वास छोड़कर सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। (प्रतीक: 💡🧘)

चरण 5: महाप्रसाद की अनमोल परंपरा
महाप्रसाद की अनमोल परंपरा, एक पंक्ति में सब साथ।
भूख मिटे तन की, और मिटे मन का ताप।
स्वाद नहीं यह, गुरु की कृपा का सार।
सेवा में ही ईश्वर है, पंतों का यह विचार।

अर्थ: महाप्रसाद की यह अनमोल परंपरा है, जिसमें सभी भक्त एक ही कतार में बैठकर भोजन करते हैं। इससे शरीर की भूख और मन का दुःख दूर होता है। यह भोजन नहीं, गुरु की कृपा का निचोड़ है। सेवा में ही ईश्वर है, यह पंत महाराज का विचार था। (प्रतीक: 🍚🧡)

चरण 6: दूर-दूर से आते हैं सब प्रेमी
दूर-दूर से आते हैं सब प्रेमी, लेकर दिल में ओढ।
अगले बरस फिर मिलेंगे, ये आस नहीं छोड़।
पैदल चलकर आते, चढ़कर हर एक पहाड़।
गुरु के दर पर ही, मिलते भक्ति के पहाड़।

अर्थ: दूर-दूर से सभी प्रेमी भक्त, अगले साल फिर आने की तीव्र इच्छा (ओढ) लेकर आते हैं। वे पैदल चलकर और हर बाधा को पार करके आते हैं। गुरु के द्वार पर ही उन्हें भक्ति का खजाना मिलता है। (प्रतीक: 🚶�♂️🗺�)

चरण 7: प्रेम करो, जीवन धन्य बनाओ
प्रेम करो, जीवन धन्य बनाओ, सद्गुरु का यही सार।
'दत्त-नाम' जपो, कर दो भव सागर पार।
समाधि उत्सव देता है, यह जीवन का ज्ञान।
पंत महाराज के चरणों में, कोटि-कोटि प्रणाम।

अर्थ: प्रेम करो और अपना जीवन सफल बनाओ, यही सद्गुरु का सार है। दत्त के नाम का जाप करो, और संसार सागर को पार कर जाओ। यह समाधि उत्सव हमें जीवन का यह सच्चा ज्ञान देता है। हम पंत महाराज के चरणों में करोड़ों बार प्रणाम करते हैं। (प्रतीक: 🙏🕊�)

--अतुल परब
--दिनांक-08.10.2025-बुधवार.
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