हालसिद्धनाथ उत्सव-कुर्ली, तालुका-चिकोडी-🟡🚩🐴🔮🌧️🎭🐐

Started by Atul Kaviraje, October 10, 2025, 05:22:51 PM

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Atul Kaviraje

हालसिद्धनाथ उत्सव-कुर्ली, तालुका-चिकोडी-

हालसिद्धनाथ पर हिंदी कविता-

'पीला भंडारा, सच्चा सहारा' 🟡
चरण 1: आज नाथों का, आया है मेला
आज नाथों का, आया है मेला, भक्ति की धारा में, मन हुआ अकेला।
हालसिद्धनाथ के, दरबार का बुलावा, कुर्ली-चिकोडी में, भक्ति का दिखावा।
ढोल गूँजे ज़ोर से, शंख बजे भारी, लाखों भक्तों की आई, आज सवारी।
मंगलमय हो हर क्षण, गुरु का हो साथ।

अर्थ: आज नवनाथों का मेला लगा है, भक्ति की इस धारा में मन एकाग्र हो गया है। हालसिद्धनाथ के दरबार ने बुलाया है, कुर्ली-चिकोडी में भक्ति का प्रदर्शन हो रहा है। ढोल जोर से बज रहे हैं, शंख की आवाज़ गूँज रही है, और लाखों भक्तों की भीड़ आई है। गुरु का साथ हो, और हर पल शुभ हो। (प्रतीक: 🥁📢)

चरण 2: हवा में उड़े, भंडारे का रंग
हवा में उड़े, भंडारे का रंग, पीला-पीला हर ओर, गुरु भक्ति संग।
यह हल्दी नहीं, यह नाथों का आशीष, जीवन हो मंगलमय, रहे गुरु का शीश।
कण-कण में है शक्ति, हर धूल में चैतन्य।
नाथ की कृपा से, हर भक्त हुआ धन्य।

अर्थ: हवा में भंडारे (हल्दी) का रंग उड़ रहा है, गुरु भक्ति के साथ हर तरफ पीलापन छा गया है। यह सिर्फ हल्दी नहीं, बल्कि नाथों का आशीर्वाद है, जिससे जीवन मंगलमय होता है और गुरु का संरक्षण रहता है। हर कण में शक्ति है, और हर धूल में सकारात्मक ऊर्जा है। नाथ की कृपा से हर भक्त धन्य हो गया है। (प्रतीक: 🟡✨)

चरण 3: पालखी निकली, सबीना सोहळा
पालखी निकली, सबीना सोहळा, हर चेहरे पर दिखा, आस्था का ओळा।
घुमट मंदिर, वाडा मंदिर, खडक मंदिर जाए,
गुरु का आशीर्वाद, हर भक्त पाए।
मानाची घोड़ी दौड़ी, उत्साह में भरके।
भक्त चले पीछे-पीछे, प्रेम से भरके।

अर्थ: पालखी निकली है, और सबीना (प्रदक्षिणा) का सोहळा चल रहा है, हर चेहरे पर आस्था का तेज दिखाई दे रहा है। पालखी घुमट, वाडा और खडक मंदिर जाती है, जहाँ से हर भक्त गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करता है। सम्मान की घोड़ी उत्साह से दौड़ती है, और भक्त प्रेम से भरकर उसके पीछे-पीछे चलते हैं। (प्रतीक: 🚩🐴)

चरण 4: भाकणूक का दरबार, भविष्य की बात
भाकणूक का दरबार, सुनाए भविष्य की बात।
अगले बरस क्या होगा, जाने नाथ ही साथ।
फसल कैसी आएगी, वर्षा का क्या हाल।
नाथ ही बताते हैं, हर एक सवाल।

अर्थ: भाकणूक (भविष्यवाणी) का दरबार सजा है, जो आने वाले भविष्य की बातें बताता है। अगले साल क्या होगा, यह केवल नाथ ही जानते हैं। फसल कैसी होगी, बारिश का क्या हाल रहेगा। नाथ ही हर सवाल का जवाब बताते हैं। (प्रतीक: 🔮🌧�)

चरण 5: महाप्रसाद की है महिमा महान
महाप्रसाद की है महिमा महान, अन्नदान होता है, देता सब सम्मान।
एक पंक्ति में बैठके, सब करते हैं भोजन।
यही है नाथों का, समता का सर्जन।
सेवा ही धर्म है, श्रम ही तपस्या।
गुरु चरणों में ही, मिटती हर समस्या।

अर्थ: महाप्रसाद की महिमा बहुत बड़ी है, यहाँ अन्नदान होता है और सबको सम्मान मिलता है। एक ही कतार में बैठकर सब भोजन करते हैं। यही नाथों का समानता का संदेश है। सेवा ही धर्म है, मेहनत ही तपस्या है। गुरु के चरणों में ही हर समस्या का समाधान होता है। (प्रतीक: 🍚🤝)

चरण 6: लोक-कला और ढोल-जागर
वालंग, गजीनृत्य, लोक-कला का भाव।
रातभर ढोल-जागर, जगाए सद्भाव।
बकरा खेळणे की, अद्भुत है प्रथा।
गुरु की कृपा से, मिटे हर व्यथा।
दत्त-नाम जपो, श्री हालसिद्ध की जय।

अर्थ: वालंग और गजीनृत्य जैसी लोक-कलाओं का प्रदर्शन हो रहा है। रातभर ढोल-जागर होता है, जो सद्भाव जगाता है। बकरे के साथ खेलने की यह प्रथा अद्भुत है। गुरु की कृपा से हर दुःख दूर होता है। दत्त का नाम जपो, श्री हालसिद्ध की जयकार करो। (प्रतीक: 🎭🐐)

चरण 7: अमर नाथों की, पावन यह भूमि
अमर नाथों की, पावन यह भूमि, यहाँ शांति मिले, न रहे कोई कमी।
गुरु की शक्ति से, होता उद्धार।
हालसिद्ध का उत्सव, है प्रेम का विस्तार।
करो कोटि प्रणाम, गुरु के चरणों में आज।

अर्थ: अमर नाथों की यह पवित्र भूमि है, जहाँ शांति मिलती है और कोई कमी नहीं रहती। गुरु की शक्ति से हमारा उद्धार होता है। हालसिद्धनाथ का उत्सव प्रेम का विस्तार है। आज गुरु के चरणों में करोड़ों बार प्रणाम करो। (प्रतीक: 🙏🎉)

--अतुल परब
--दिनांक-08.10.2025-बुधवार.
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