श्री स्वामी समर्थ: 'भिऊ नकोस मी तुझ्या पाठीशी आहे' का अढळ विश्वास।-2-🕉️🙏🛡️

Started by Atul Kaviraje, October 11, 2025, 10:53:38 AM

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Atul Kaviraje

श्री स्वामी समर्थ के भक्तों में विश्वास की भावना
(The Feeling of Trust Among Shri Swami Samarth's Devotees)
Feeling of trust in Shri Swami Samarth and his devotees-

थीम: श्री स्वामी समर्थ: 'भिऊ नकोस मी तुझ्या पाठीशी आहे' का अढळ विश्वास।

6. अन्नदान और सेवा में विश्वास 🍲
दान का महत्व: स्वामी का उपदेश है कि गरीब को दिया गया दान और सद्गुरु स्वामी का मुख से लिया गया नाम कभी व्यर्थ नहीं जाता (Result 1.4, 2.5)।

अन्नछत्र की दृढ़ता: अक्कलकोट स्थित अन्नछत्र मंडल के सेवक इस दृढ़ विश्वास के साथ कार्य करते हैं कि यह सेवा निरंतर चलती रहेगी, क्योंकि भक्त अपने योगदान से इसमें सहयोग करते हैं (Result 3.1)।

7. सर्वधर्म समभाव (एकता) 🤝
धर्म और पंथ की एकता: स्वामी के उपदेशों से भक्त यह सीखते हैं कि ईश्वरीय ज्ञान का उपदेश देने वाले सभी धर्मों और पंथों का अंतिम लक्ष्य एक ही है, इसलिए सभी धर्म वंदनीय हैं (Result 2.4)।

जाति, वर्ण से परे: स्वामी को कोई वर्ण, कोई जात, कोई देश या जाति अपने बंधन में नहीं डाल सकता (Result 1.2)। यह विश्वास भक्तों को सामाजिक समानता का संदेश देता है।

8. मोक्ष और कल्याण की प्राप्ति ✨
परमात्मप्राप्ति का ध्येय: भक्त मानते हैं कि परमात्मप्राप्ति ही मनुष्य का सच्चा लक्ष्य है, जिसके लिए उत्तरोत्तर आत्मोन्नति के लिए प्रयास करना चाहिए (Result 2.4)।

सहज मोक्ष: स्वामी की पादुकाओं का दर्शन और प्रेमभाव से ध्यान करने से ही भक्त को मोक्ष स्थान की प्राप्ति हो सकती है, जो जप, तप, योग से भी दुर्लभ है (Result 2.4)।

9. जीवन में सुख-दुःख का स्वीकार 😊
प्रारब्ध का स्वीकार: स्वामी भक्त यह मानते हैं कि इस संसार में प्राप्त होने वाले सुख-दुःख परमात्मा की इच्छा से होते हैं (Result 2.4)। इस विश्वास से वे जीवन के उतार-चढ़ाव को सहजता से स्वीकार कर पाते हैं।

कष्टों को शक्ति में बदलना: भक्त अपने कष्टों को देखकर डरते नहीं, बल्कि उनसे सामना करते हैं, क्योंकि स्वामी ही उन्हें ऐसा करने की शक्ति देते हैं (Result 2.5)।

10. स्वामी का सर्वव्यापी रूप 🌍
त्रिखंड में उपस्थिति: स्वामी के भक्त यह मानते हैं कि स्वामी त्रिखंड (तीनों लोकों) में हैं और उनका रूप सर्वव्यापी है (Result 1.2)।

हृदय में दर्शन: एक भक्त ने स्वामी से पूछा कि आप अक्कलकोट में हैं, तो स्वामी ने उत्तर दिया: "अक्कल के अंदर हरदे में साहेब को सच्चा देख लिया" (बुद्धि के अंदर हृदय में मैंने साहिब (खुदा) को सच्चा देख लिया) (Result 4.5)। यह भक्तों को सिखाता है कि स्वामी हर जगह, हर क्षण उनके साथ हैं।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-09.10.2025-गुरुवार.
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