नवान्न पौर्णिमा (शरद पूर्णिमा) - अन्न, समृद्धि और भक्ति का संगम 🌙🙏-1-🍚🌾💰💖✨

Started by Atul Kaviraje, October 11, 2025, 11:01:19 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

नवान्न पौर्णिमा-

🌾 07 अक्टूबर, 2025: नवान्न पौर्णिमा (शरद पूर्णिमा) - अन्न, समृद्धि और भक्ति का संगम 🌙🙏-

ईमोजी सारansh: 🍚🌾💰💖✨

आज, 07 अक्टूबर, 2025, मंगलवार का दिन, आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि का अंतिम भाग है। इस पूर्णिमा को कई नामों से जाना जाता है, जिनमें शरद पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा और सबसे विशेष रूप से, नवान्न पौर्णिमा शामिल है। 'नवान्न' का अर्थ है 'नया अन्न', और यह त्योहार प्रकृति और माता अन्नपूर्णा के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का महापर्व है।

विस्तृत एवं विवेचनपरक हिंदी लेख: नवान्न पौर्णिमा
1. नवान्न पौर्णिमा का अर्थ और मूल भाव 🍚
1.1. शाब्दिक अर्थ: 'नव' (नया) + 'अन्न' (अनाज)। यह पर्व नई फसल, विशेषकर धान (चावल) की पहली कटाई के बाद मनाया जाता है।

1.2. कृतज्ञता का पर्व: यह किसानों और गृहस्थों द्वारा प्रकृति और माता अन्नपूर्णा के प्रति आभार व्यक्त करने का दिन है, जिन्होंने भरपूर फसल दी।

उदाहरण: नए चावल से खीर या नैवेद्य बनाकर देवताओं को अर्पित करना। 🥣

1.3. समृद्धि का प्रतीक: नए अनाज का भोग लगाना यह सुनिश्चित करता है कि आने वाला वर्ष भी धन और धान्य से भरा रहे।

2. तिथि का विशिष्ट समय (07 अक्टूबर, 2025) ⏰
2.1. पूर्णिमा का समापन: पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि 06 अक्टूबर को दोपहर में शुरू होकर 07 अक्टूबर, 2025 को सुबह 09:16 बजे समाप्त हो रही है।

2.2. मंगलवार का योग: मंगलवार का दिन होने के कारण इस पर्व पर हनुमान जी और मंगल देव की विशेष कृपा का भी योग बनता है, जो ऊर्जा और उत्साह में वृद्धि करता है।

2.3. नवान्न पूजन का महत्व: चूंकि पूर्णिमा तिथि सुबह तक है, इसलिए सुबह के समय स्नान-दान और नवान्न पूजन (नये अनाज का भोग) का विशेष विधान है।

3. माता अन्नपूर्णा और भरण-पोषण की भक्ति 🕉�
3.1. अन्नपूर्णा देवी का रूप: माता अन्नपूर्णा देवी पार्वती का स्वरूप हैं, जो जगत के भरण-पोषण के लिए अन्न प्रदान करती हैं।

प्रतीक: हाथों में अन्न का पात्र (कलश) और करछी धारण किए देवी। 🥄

3.2. भक्ति का उद्देश्य: इस दिन अन्नपूर्णा की भक्ति करने से घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं होती और रसोई (किचन) में बरकत बनी रहती है।

3.3. दरिद्रता का नाश: यह मान्यता है कि जो व्यक्ति नए अन्न का भोग लगाए बिना उसे ग्रहण करता है, वह दरिद्रता को आमंत्रित करता है। इसलिए इस दिन पूजन अनिवार्य है।

4. कोजागरी स्वरूप: लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा 💰🌙
4.1. लक्ष्मी आगमन: यद्यपि नवान्न पूजन सुबह होता है, रात्रि में इसे कोजागरी पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है, जहाँ देवी लक्ष्मी रात भर विचरण करती हैं।

4.2. रास लीला का भाव: यह रात भगवान कृष्ण की महा-रास लीला के कारण भी भक्ति का सर्वोच्च शिखर मानी जाती है, जहाँ प्रेम और परमानंद की अनुभूति होती है।

4.3. 16 कलाओं वाला चंद्रमा: इस रात चंद्रमा सोलह कलाओं से युक्त होता है, जिसकी किरणें अमृततुल्य मानी जाती हैं।

5. नवान्न पूजन विधि और नैवेद्य (भोग) 🌾
5.1. नए धान की पूजा: नए कटे हुए धान (चावल की बालियाँ या गुच्छे) को घर में लाकर, उन्हें शुभ स्थान पर रखकर पूजा की जाती है।

5.2. नैवेद्य: नए चावल को पीसकर या उबालकर उसका शुद्ध नैवेद्य (खीर) तैयार किया जाता है और माता अन्नपूर्णा, लक्ष्मी और चंद्रदेव को अर्पित किया जाता है।

5.3. अन्न का दान: पूजन के बाद गरीबों और ब्राह्मणों को नया अन्न दान करने का विशेष महत्व है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-07.10.2025-मंगळवार.
===========================================