ज्येष्ठ अपत्य निरंIजन ओवIळणी-1-💖👶✨

Started by Atul Kaviraje, October 11, 2025, 11:05:45 AM

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Atul Kaviraje

ज्येष्ठ अपत्य निरंIजन ओवIळणी-

धार्मिक रूप से ज्येष्ठ अपत्य पूजन या निरंजन ओवाळणी (जिसमें बड़े संतान की आरती उतारी जाती है) का संबंध मुख्य रूप से कोजागिरी पूर्णिमा (आश्विन पूर्णिमा) या ज्येष्ठ पूर्णिमा से होता है।

कोजागिरी पूर्णिमा (आश्विन पूर्णिमा) 2025 की तिथि 06-07 अक्टूबर 2025 है।

ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 की तिथि 11 जून 2025 है।

चूँकि 07 अक्टूबर 2025 को आश्विन पूर्णिमा (कोजागिरी पूर्णिमा) की तिथि पड़ रही है, इसलिए यह मानकर कि यह विशेष पूजन कोजागिरी/शरद पूर्णिमा के दिन किया जा रहा है

ज्येष्ठ अपत्य निरंजन ओवाळणी: संतान के दीर्घायु और समृद्धि का पर्व-

दिनांक: 07 अक्टूबर, 2025 (मंगलवार)
पर्व: कोजागिरी पूर्णिमा / शरद पूर्णिमा
विषय: ज्येष्ठ अपत्य निरंजन ओवाळणी (बड़ी संतान की आरती) - भक्ति भाव पूर्ण, विवेचनपरक विस्तृत लेख

भारतीय संस्कृति में संतान को ईश्वर का वरदान माना जाता है, और संतान की मंगलकामना के लिए कई विशेष पर्व मनाए जाते हैं। "ज्येष्ठ अपत्य निरंजन ओवाळणी" का यह पवित्र अनुष्ठान, जिसे मुख्य रूप से कोजागिरी/शरद पूर्णिमा के दिन महाराष्ट्र और अन्य क्षेत्रों में संपन्न किया जाता है, परिवार की सबसे बड़ी संतान (ज्येष्ठ अपत्य) के दीर्घायु, सुख-समृद्धि और उज्जवल भविष्य के लिए माँ या परिवार के सदस्यों द्वारा किया जाता है। यह पर्व माँ की ममता और संतान के प्रति असीम प्रेम का प्रतीक है। 💖👶✨

10 प्रमुख बिंदुओं में ज्येष्ठ अपत्य निरंजन ओवाळणी का भक्तिपूर्ण एवं विवेचनपरक परिचय

1. पर्व का स्वरूप और तिथि 📅
पर्व का आधार: इस अनुष्ठान का मुख्य उद्देश्य बड़ी संतान (ज्येष्ठ अपत्य) के जीवन से सभी संकटों को दूर करना और उन्हें सफलता और स्वास्थ्य का आशीर्वाद देना है।

तिथि (2025): यह अनुष्ठान आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को होता है, जो वर्ष 2025 में 07 अक्टूबर को है। इसे कोजागिरी पूर्णिमा या शरद पूर्णिमा भी कहते हैं।

प्रतीक: पूर्णिमा का चाँद 🌕, कैलेंडर 🗓�।

2. 'ज्येष्ठ अपत्य' का विशेष महत्त्व 👑
ज्येष्ठ की महत्ता: हिंदू परंपराओं में, ज्येष्ठ संतान को परिवार की धरोहर और वंश का वाहक माना जाता है। इसलिए, उसे विशेष रूप से पूजित किया जाता है।

परिवार की नींव: ज्येष्ठ संतान पर परिवार के मूल्यों और जिम्मेदारियों को आगे बढ़ाने का भार होता है, जिसके लिए उसे दैवीय शक्ति और सुरक्षा की आवश्यकता होती है।

प्रतीक: मुकुट 👑, बड़ा तीर (वंश वृद्धि) ⬆️।

3. निरंजन ओवाळणी का अर्थ (आरती उतारना) 🪔
निरंजन: दीपक या ज्योति जो प्रकाश और तेज का प्रतीक है। आरती के माध्यम से यह प्रकाश संतान के चारों ओर की नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करता है।

ओवाळणी/आरती: माँ द्वारा थाली में दीपक रखकर संतान के चारों ओर गोलाकार घुमाना, जो सुरक्षा कवच बनाने का प्रतीक है।

प्रतीक: आरती की थाली 🪔, सुरक्षा चक्र 🛡�।

4. पूजा विधि और अनुष्ठान का क्रम 🌷
सामग्री: ओवाळणी की थाली में दीपक, कुमकुम, हल्दी, अक्षत, सुपारी और मिठाई (खीर) रखी जाती है।

आरती: माँ संतान को सामने बिठाकर, उसके माथे पर तिलक लगाती है और फिर प्रेम और भक्ति भाव से उसकी आरती उतारती है।

आशीर्वाद: आरती के बाद, संतान माँ के चरण छूकर आशीर्वाद लेती है, और माँ उसे दीर्घायु और सफलता का वरदान देती है।

प्रतीक: तिलक (शुभता) 🔴, आशीर्वाद का हाथ 🙌।

5. कोजागिरी पूर्णिमा का विशेष संबंध 🥛
चंद्रमा की शक्ति: यह अनुष्ठान शरद पूर्णिमा की रात्रि में किया जाता है, जब चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और उसकी किरणें अमृत के समान होती हैं।

खीर का प्रसाद: इस दिन रात भर चाँदनी में रखी गई दूध-चावल की खीर का सेवन किया जाता है, जिसे माँ द्वारा संतान को खिलाया जाता है, ताकि उसे आरोग्य और बल प्राप्त हो।

प्रतीक: खीर का कटोरा 🥣, चाँदनी की बूंदें ✨।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-07.10.2025-मंगळवार.
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