गोवा का 'पेडणेची पुनव' भूतनाथ उत्सव-2-🚩🌙🚩🙏🥁✨👥

Started by Atul Kaviraje, October 11, 2025, 11:18:22 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

भूतनाथ उत्सव-गोवा-

🚩 भक्ति-भावपूर्ण लेख: गोवा का 'पेडणेची पुनव' भूतनाथ उत्सव (07 अक्टूबर 2025 - मंगलवार) 🌙-

6. तरंगों की शोभायात्रा 🥁
6.1. तरंगों का श्रृंगार: देव भूतनाथ के तरंग को 21 साड़ियों और देव रवळनाथ के तरंग को 19 साड़ियों से सजाया जाता है।

6.2. मार्ग और समापन: यह जुलूस कारपंच पिंपल के पेड़ से शुरू होकर भारचो चावटो पर समाप्त होता है, जहाँ पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

6.3. लोक कला: शोभायात्रा के दौरान स्थानीय लोक नृत्य, गीत और ढोल-ताशों का उपयोग होता है, जो कोंकणी संस्कृति की झलक पेश करते हैं।

7. पारंपरिक और सामाजिक महत्व 🤝
7.1. सामुदायिक भागीदारी: इस उत्सव में कोटकर, कुम्हार, गुरव, सुतार और महार जैसे विभिन्न समुदाय और सात महाजन मिलकर भाग लेते हैं, जो सामाजिक समरसता का उदाहरण है।

7.2. राजघराने का संबंध: अतीत में, पेडणे के देशप्रभु राजघराने का इस उत्सव के आयोजन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

7.3. परंपरा का संरक्षण: पुर्तगाली शासन के दौरान भी यह परंपरा बची रही, जो गोवा के लोगों की अपनी संस्कृति के प्रति अटूट आस्था और लचीलेपन को दर्शाता है।

8. 'कौल' आशीर्वाद 😇
8.1. काउल प्रथा: उत्सव के दौरान 'कौल' (Kaul) आशीर्वाद लेने की प्रथा भी महत्वपूर्ण है। भक्त देवता से जीवन की समस्याओं पर मार्गदर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

8.2. भक्तों का जमावड़ा: हजारों की संख्या में भक्तगण इस रात श्री भगवती मंदिर में जमा होते हैं, रात भर जागकर (जागरण) भक्ति करते हैं।

8.3. भक्ति और लोक-विश्वास: यह उत्सव इस बात का प्रमाण है कि लोकदेवताओं में गोवा के लोगों की भक्ति कितनी गहरी है।

9. उत्सव का वातावरण और प्रतीक (Pictures & Symbols) 🌌
9.1. भक्तिमय रात: पूरी पेडणे नगरी इस रात को रोशनी, पताकाओं और रंगोली से सज जाती है, जिससे रात में भी दिन जैसा माहौल रहता है। (💡✨)

9.2. तरंगे: उत्सव का मुख्य प्रतीक रंगीन साड़ियों से सजे तरंग हैं। (🔱🌈)

9.3. मशालें और ध्वनि: मध्यरात्रि के अनुष्ठानों में मशालों की रोशनी (🔥) और ढोल-ताशों की तेज, रहस्यमय ध्वनि (🥁) एक गहन आध्यात्मिक और नाटकीय वातावरण बनाती है।

9.4. जनसैलाब: दूर-दराज से आए भक्तों का विशाल जनसमूह (👥) इस उत्सव का सबसे बड़ा दृश्य होता है।

10. निष्कर्ष (विवेचन) और संदेश 🌟
10.1. सांस्कृतिक धरोहर: 'पेडणेची पुनव' केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि गोवा की अनूठी लोक परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर का एक दुर्लभ रूप है, जहाँ भक्ति, लोककथाएँ और रहस्य एक साथ आते हैं।

10.2. आस्था का केंद्र: यह त्योहार दर्शाता है कि आस्था और भक्ति की जड़ें कितनी गहरी हो सकती हैं, जहाँ देवता का 'गुस्सा' भी अंततः भक्तों के प्रेम और 'बांध तू सायबा' के आश्वासन से शांत हो जाता है।

10.3. एकता का संदेश: विभिन्न समुदायों की भागीदारी इस बात का प्रतीक है कि पारंपरिक उत्सव आज भी समाज को एकजुट रखने का कार्य करते हैं।

इमोजी सारांश: 🌙🚩🙏🥁✨👥

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-07.10.2025-मंगळवार.
===========================================