पंत महाराज बाळेकुंद्री समाधी उत्सव प्रारंभ: प्रेम और गुरुभक्ति का महासंगम-1-🙏🪔

Started by Atul Kaviraje, October 11, 2025, 11:27:32 AM

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Atul Kaviraje

पंत महाराज बाळेकुंद्री समाधी उत्सव प्रIरंभ-बेळगाव-

पंत महाराज बाळेकुंद्री समाधी उत्सव प्रारंभ: प्रेम और गुरुभक्ति का महासंगम-

दिनांक: 08 अक्टूबर, 2025 (बुधवार)
स्थान: श्रीक्षेत्र बाळेकुंद्री, बेळगाव (कर्नाटक)
थीम: सद्गुरु श्री पंत महाराजांच्या चरणी भावपूर्ण वंदन

प्रतीक: पंत महाराज बाळेकुंद्री समाधी उत्सव प्रारंभ: प्रेम और गुरुभक्ति का महासंगम- (प्रेम) 🕊� (शांति) 🎵 (भजन) 🌳 (औदुंबर वृक्ष)

भक्ति भावपूर्ण विवेचनात्मक लेख (Hindi Lekh)
श्री पंत महाराज बाळेकुंद्रीकर (दत्तात्रय रामचन्द्र कुलकर्णी) अवधूत संप्रदाय के एक महान संत और दत्तावतार माने जाते हैं। उनका जीवन गुरुभक्ति, प्रेम और ज्ञान का अद्भुत संगम था। 16 अक्टूबर, 1905 (अश्विन कृष्ण तृतीया) को उन्होंने बेळगाव में देहत्याग किया और उनका पार्थिव शरीर बाळेकुंद्री ले जाकर अग्निसंस्कार किया गया, जहाँ आज उनका समाधि स्थल है। हर वर्ष, उनकी पुण्यतिथि पर, श्रीक्षेत्र बाळेकुंद्री में एक विशाल उत्सव (समाधी उत्सव) आयोजित होता है, जिसका 08 अक्टूबर, 2025 को होने वाला आरंभ भक्तों के लिए एक प्रेमपूर्ण पर्व है।

1. उत्सव का आध्यात्मिक आधार: गुरुभक्ति की पराकाष्ठा 🙏
यह उत्सव श्री पंत महाराज के प्रति भक्तों की अनन्य गुरुभक्ति का प्रतीक है।

1.1. 'प्रेम' ही पंतों की देन: पंत महाराज ने प्रेम को ही अपनी शुद्ध भक्ति का आधार बताया। उनका प्रसिद्ध सिद्धांत है: "केवळ प्रेमाची देशकी (केवल प्रेम का संदेश)"। यह उत्सव उसी प्रेम के पुनर्जागरण का पर्व है।

1.2. पादुका पूजन: उत्सव का आरंभ सद्गुरु की पादुकाओं के पूजन से होता है, जो गुरु के चरणकमलों के स्पर्श से पावन हुई हैं। भक्त इसमें अपनी सम्पूर्ण श्रद्धा अर्पित करते हैं।

2. उत्सव का शुभारंभ और प्रथम दिवस की गतिविधियाँ 🪔
08 अक्टूबर, 2025 (बुधवार) को उत्सव का आरंभ एक पवित्र और भक्तिपूर्ण वातावरण में होगा।

2.1. प्रेमध्वज मिरवणूक (प्रेमध्वज यात्रा): उत्सव का मुख्य आकर्षण 'प्रेमध्वज मिरवणूक' से शुरू होता है। यह प्रेम, एकता और सद्भाव के प्रतीक गुरु ध्वज को पूरे क्षेत्र में घुमाने की यात्रा है। (प्रतीक: 🚩)

2.2. काकड आरती: सूर्योदय से पूर्व काकड आरती के साथ उत्सव का वातावरण आध्यात्मिक ऊष्मा से भर जाता है। यह भक्तों को दिन भर की गतिविधियों के लिए तैयार करता है।

3. श्रीक्षेत्र बाळेकुंद्री का महत्व 🌳
बेळगाव के पास स्थित बाळेकुंद्री एक सामान्य गाँव से दत्त संप्रदाय के तीर्थक्षेत्र में परिवर्तित हो गया है।

3.1. औदुंबर वृक्ष: समाधि स्थल के पास स्थित औदुंबर वृक्ष (गूलर का वृक्ष), जिसे दत्त स्वरूप माना जाता है, भक्तों के लिए विशेष पूजनीय है। भक्त इसकी परिक्रमा करके महाराज का आशीर्वाद लेते हैं।

3.2. दत्त मंदिर और पंतवाडा: यहाँ स्थित दत्त मंदिर और पंतवाडा भक्तों के निवास और सेवा (भोजन/कीर्तन) का केंद्र हैं। (उदाहरण: भक्त निवास और भोजन व्यवस्था भक्तों के लिए उपलब्ध होती है।)

4. महाप्रसाद की परंपरा: सेवा और समता 🍚
पंत महाराज के उत्सव की सबसे बड़ी विशेषता महाप्रसाद (सामुदायिक भोजन) की परंपरा है।

4.1. एक ही पंक्ति: यहाँ सभी भक्त, चाहे उनकी सामाजिक स्थिति कुछ भी हो, एक ही पंक्ति में बैठकर प्रसाद ग्रहण करते हैं। यह पंत महाराज के समता और निरपेक्षता के सिद्धांत को दर्शाता है।

4.2. स्वयंसेवा का भाव: भक्त स्वयं भोजन पकाने, परोसने और स्वच्छता में भाग लेते हैं, जिससे सेवा का महत्व स्पष्ट होता है। (प्रतीक: 🧑�🍳🤝)

5. भजन और कीर्तन: दत्तात्रय और गुरु महिमा 🎵
पूरे उत्सव के दौरान, विशेषकर आरंभ दिवस पर, भजन और कीर्तन की धूम रहती है।

5.1. दत्तप्रेम लहरी: भक्तगण श्री पंत महाराज द्वारा रचित 'श्रीदत्तप्रेम लहरी - भजन गाथा' से भजन और पद गाते हैं। (उदाहरण: 'नित्य निरंजन दत्त पादुका, भक्तीने पूजा' - यह पद अत्यंत लोकप्रिय है।)

5.2. सामूहिक भक्ति: कीर्तन के माध्यम से भक्त सामूहिक रूप से गुरु की महिमा का गुणगान करते हैं, जिससे भक्ति का भाव गहरा होता है।

EMOJI सारांश (Emoji Summary)
आरंभ: 🗓� 08-Oct → गुरु: 🙏🪔 (पंत महाराज) → स्थान: 📍 बाळेकुंद्री → भाव: 🧡🎵 (प्रेम और भक्ति) → मुख्य आकर्षण: 🚩🚶�♂️ (प्रेमध्वज यात्रा) 🍚🤝 (महाप्रसाद/समता) → सन्देश: 💡🕊� (ज्ञान और शांति) → लक्ष्य: 🎉 (पुण्यतिथि उत्सव)

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-08.10.2025-बुधवार.
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