"शुभ दोपहर, शनिवार मुबारक हो"-लकड़ी के डेक पर धूप और परछाइयाँ ☀️

Started by Atul Kaviraje, October 11, 2025, 03:31:06 PM

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Atul Kaviraje

"शुभ दोपहर, शनिवार मुबारक हो"

लकड़ी के डेक पर धूप और परछाइयाँ

लकड़ी के डेक पर धूप और परछाइयाँ ☀️🪵⬛

चरण (Charan)   हिंदी कविता (Hindi Kavita)

I   लकड़ी का डेक गर्म और सूखा है, एक विशाल और खुले आसमान के नीचे। इसकी तख्तियाँ पुरानी हैं, समय से घिसी हुई, मीठी और मुख्य कहानियाँ रखती हुई।

II   सोने की एक धार फर्श पर बहती है, जो रेंगती है और लगातार चौड़ी होती जाती है। सूरज की रोशनी चौकोर और रेखाओं में गिरती है, जहाँ गर्मी यादों के साथ मिल जाती है।

III   परछाइयाँ खिंचती हैं, गहरे आराम में, एक शांत, क्षणिक दुःख (गहन शांति) सा लगे। वे खंभों और ऊँची रेलिंग को दर्शाती हैं, और पल भर में दीवार के नीचे रेंगती हैं।

IV   एक हल्की हवा आती है, एक कोमल मेहमान, निष्क्रिय आत्मा को आराम देने। यह पेड़ पर पत्तों को हिलाती है, और मेरे देखने के लिए प्रकाश को बदलती है।

V   अंधेरे और उज्ज्वल का तीखा विरोधाभास, प्रकाश की सुंदरता को परिभाषित करता है। छाया के बिना, गर्मी समाप्त हो जाएगी, सच्ची शांति का एक परिपूर्ण चित्र।

VI   मैं पैटर्न को धीरे-धीरे रेंगते देखता हूँ, जैसे सूरज धीरे-धीरे ढलना शुरू करता है। एक अच्छी तरह से बिताया गया दिन, एक शांत दृश्य, रात की ओर बदलता हुआ।

VII   तो अंधेरे और प्रकाश को गले लगने दो, और इस जगह में सुंदरता को खोजो। एक साधारण सबक, स्पष्ट और सच्चा, जीवन का आनंद तुम में और मुझ में पाया जाता है।

Emoji Saransh (Emoji Summary)
🪵🌞⬛🔄😌
(Wood/Deck + Sunlight + Shadow + Change/Movement + Peace/Relaxation)

--अतुल परब
--दिनांक-11.10.2025-शनिवार.
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