देवी काली और ‘शक्ति साधना’ का सांस्कृतिक महत्व-🌑⛓️🩸🦁

Started by Atul Kaviraje, October 12, 2025, 04:39:39 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

देवी काली और 'शक्ति साधना' का सांस्कृतिक महत्व-

देवी काली को समर्पित हिंदी कविता-

संक्षेप में इमोजी सारांश (Emoji Saaransh):
🌑⛓️🩸🦁

चरण 1
कविता:
महाकाली! तेरा रूप, उग्र और महान,
तू है समय की धारा, तू ही है विज्ञान।
अज्ञान का अंधकार, तेरे सम्मुख झुके,
शक्ति साधना से, जीवन न रुके।
हिंदी अर्थ: हे महाकाली! आपका रूप उग्र और महान है। आप ही समय की धारा हैं, आप ही विज्ञान हैं। अज्ञानता का अँधेरा आपके सामने झुक जाता है। शक्ति साधना से जीवन रुकता नहीं है।

चरण 2
कविता:
श्याम वर्णी माँ, काल का है सार,
मुंडमाल शोभा दे, तू ही है संहार।
रक्तबीज के रक्त को, तूने ही सोखा,
आंतरिक दोषों को, तूने ही रोका।
हिंदी अर्थ: हे माँ, आपका रंग काला है, आप काल का सार हैं। मुंडमाला आप पर सुशोभित है, आप ही विनाश करने वाली हैं। आपने ही रक्तबीज का रक्त सोखा। आपने ही आंतरिक दोषों को रोका।

चरण 3
कविता:
बंधन से मुक्ति, का मार्ग तू दिखाए,
माया की बेड़ियों, से तू ही छुड़ाए।
मोक्ष की दाता है, तू ही आदि शक्ति,
तेरी ही कृपा से, होवे परम भक्ति।
हिंदी अर्थ: आप बंधन से मुक्ति का मार्ग दिखाती हैं। माया की जंजीरों से आप ही छुटकारा दिलाती हैं। आप ही मोक्ष देने वाली आदि शक्ति हैं। आपकी कृपा से ही परम भक्ति प्राप्त होती है।

चरण 4
कविता:
श्मशान निवासिनी, जीवन का ये सत्य,
परिवर्तन ही है माँ, तेरा शाश्वत कृत्य।
मृत्यु का न भय हो, तेरी शरण में,
निर्भय हो चलता, जो तेरे मन में।
हिंदी अर्थ: श्मशान में निवास करने वाली माँ, यह जीवन का सत्य है। परिवर्तन ही आपका शाश्वत कार्य है। आपकी शरण में मृत्यु का भय नहीं होता। जो आपके मन में है (जो आपकी भक्ति करता है), वह निर्भय होकर चलता है।

चरण 5
कविता:
क्रोध और उग्रता, असुरों के लिए,
करुणा और प्रेम, भक्तों को मिले।
तू ही है माँ मेरी, तू ही है शक्ति,
तेरे इस प्रेम में, डूबती है मति।
हिंदी अर्थ: आपका क्रोध और उग्रता राक्षसों के लिए है। भक्तों को आपकी करुणा और प्रेम मिलता है। आप ही मेरी माँ हैं, आप ही शक्ति हैं। मेरे मन (बुद्धि) को आपके इस प्रेम में डूबना है।

चरण 6
कविता:
बीज मंत्र 'क्रीं' का, जाप जो करे,
असीम ऊर्जा को, वो भीतर धरे।
तांत्रिक विधान में, तू ही तो केंद्र,
चेतना का विस्तार, तेरे ही छंद।
हिंदी अर्थ: जो बीज मंत्र 'क्रीं' का जाप करता है, वह अपने भीतर असीम ऊर्जा धारण करता है। तांत्रिक विधान में आप ही केंद्र हैं। चेतना का विस्तार आपके ही नियमों (छंदों) से होता है।

चरण 7
कविता:
करूँ वंदन माँ! परम आत्म-रूप,
तेरी भक्ति से ही, मिटे सारा कूप।
शक्ति का ये दीप, सदा जलता रहे,
काली माँ के चरणों में, जीवन पलता रहे।
हिंदी अर्थ: हे माँ, मैं परम आत्म-स्वरूप आपको वंदन करता हूँ। आपकी भक्ति से ही सारे कष्ट (कूप) मिट जाते हैं। शक्ति का यह दीप हमेशा जलता रहे, और हमारा जीवन काली माँ के चरणों में पलता रहे।

--अतुल परब
--दिनांक-10.10.2025-शुक्रवार.
===========================================