समन्वय और अद्वैत का भाव - संत तुकाराम और शंकर की भक्ति-'हरिहर का भाव'-

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Atul Kaviraje

समन्वय और अद्वैत का भाव - संत तुकाराम और शंकर की भक्ति-

विषय: संत तुकाराम और शिव भक्ति (समन्वय का दृष्टिकोण)-

सुंदर हिंदी कविता: 'हरिहर का भाव'-

चरण (Stanza)   कविता (Poem)   प्रत्येक चरण का हिंदी अर्थ (Short Meaning)

१   तुकाराम संत ने, भक्ति का मार्ग चुना! विट्ठल के प्रेम से, जीवन को बुन! पर उनके हृदय में, था समन्वय का वास! शिव और केशव में, देखा एक ही खास!   अर्थ: संत तुकाराम ने भक्ति का मार्ग चुना। उन्होंने विट्ठल के प्रेम से अपना जीवन बनाया। पर उनके हृदय में एकता का भाव था। उन्होंने शिव और विष्णु (केशव) को एक ही माना।

२   पंढरपूर में देखो, विट्ठल की है माया! पर शिव की शक्ति ने, हर जगह छाव लाया! हरिहर की एकता, उन्होंने है सिखाई! अलग नहीं हैं देवता, सत्य की गहराई!   अर्थ: पंढरपूर में विट्ठल का प्रभाव है। पर शिव की शक्ति ने हर जगह अपना प्रभाव छोड़ा है। उन्होंने हरि और हर (विष्णु और शिव) की एकता सिखाई। देवता अलग नहीं हैं, यह सत्य की गहराई है।

३   अभंगों की वाणी में, शिव का था आदर! ज्ञान और वैराग्य के, भावों का था सागर! भोले की सादगी, तुकाराम को भाती! विष को जो पीते, वो कल्याण लाती!   अर्थ: उनके अभंगों की वाणी में शिव का आदर था। वह ज्ञान और वैराग्य के भावों का भंडार था। भोलेनाथ की सादगी तुकाराम को पसंद थी। शिव जो विष पीते हैं, वह कल्याण लाता है।

४   भीमाशंकर में देखो, ज्योति है जलती! विट्ठल के भक्तों की, भीड़ भी है चलती! पूजा दोनों की होती, एक ही भाव से आज! तुकाराम ने साधा, यह समन्वय का काज!   अर्थ: भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग में ज्ञान की ज्योति जलती है। विट्ठल के भक्तों की भीड़ भी वहाँ चलती है। आज दोनों की पूजा एक ही भाव से होती है। तुकाराम ने एकता का यह कार्य सिद्ध किया।

५   डमरू की ध्वनि में, विट्ठल का नाम! कीर्तन में गूँजे, शिवजी का धाम! अद्वैत का दर्शन, सरल बना दिया! हर भक्त के मन को, पावन कर दिया!   अर्थ: डमरू की आवाज में विट्ठल का नाम है। कीर्तन में शिवजी का वास गूँजता है। उन्होंने अद्वैत का दर्शन सरल बना दिया। हर भक्त के मन को पवित्र कर दिया।

६   संतों की परंपरा, रही सदा ही महान! भेदभाव न सीखा, किया सबका सम्मान! ज्ञानोबा ने जो कहा, तुका ने उसे स्वीकारा! ईश्वर एक है, जग को यह पुकारा!   अर्थ: संतों की परंपरा हमेशा महान रही है। उन्होंने भेदभाव नहीं सीखा और सबका सम्मान किया। संत ज्ञानेश्वर ने जो कहा, तुकाराम ने उसे स्वीकार किया। ईश्वर एक है, यह बात उन्होंने दुनिया को बताई।

७   शिव भी विट्ठल है, विट्ठल भी है शिव! परम ब्रह्म की पहचान, है जीवन का जीव! जय राम कृष्ण हरी, बोलो हर हर महादेव! भक्ति में एकता है, यही सार है देव!   अर्थ: शिव ही विट्ठल हैं, और विट्ठल ही शिव हैं। परम ब्रह्म की पहचान ही जीवन का सार है। जय राम कृष्ण हरी, और हर हर महादेव बोलो। भक्ति में एकता है, यही देवताओं का सार है।

--अतुल परब
--दिनांक-13.10.2025-सोमवार.
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