चाणक्य नीति-।।१।। 🙏 आचार्य की विनम्र शुरुआत: नीति का आधार 🙏

Started by Atul Kaviraje, October 31, 2025, 11:01:57 AM

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Atul Kaviraje

चाणक्य नीति प्रथम अध्याय -

प्रणम्य शिरसा विष्णु प्रैलोक्याधिपति प्रभुम् ।
नानाशास्त्रोद्धृतं वक्ष्ये राजनीतिसमुच्चयम् ।।१।।

🙏 आचार्य की विनम्र शुरुआत: नीति का आधार 🙏

चाणक्य नीति - प्रथम अध्याय - श्लोक १ प्रणम्य शिरसा विष्णुं त्रैलोक्याधिपतिं प्रभुम् । नानाशास्त्रोद्धृतं वक्ष्ये राजनीतिसमुच्चयम् ।।१।।

श्लोक का संक्षिप्त अर्थ (Short Meaning in Hindi)

आचार्य चाणक्य कहते हैं: मैं तीनों लोकों के स्वामी और सामर्थ्यवान भगवान विष्णु को सिर झुकाकर प्रणाम करता हूँ, और अनेक शास्त्रों से निकाले गए सार को, जो राजनीति (व्यवहार नीति) का संग्रह है, वह मैं कहने जा रहा हूँ।

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📜 चाणक्य नीति – प्रथम श्लोक का भावार्थ 🙏

विषय : वंदन, ज्ञान और नीति का आरंभ

१. वंदन और समर्पण

विनम्र भाव से नमन करता हूँ आज,
त्रिभुवन के जो हैं स्वामीराज।
शिरसा प्रणम्य विष्णुम् करुणासागर,
ग्रंथ का आरंभ है यह सच्चा आधार ।।
(शिरसा प्रणम्य विष्णुम्: सिर झुकाकर विष्णु को प्रणाम करता हूँ)

२. परमेश्वर का स्वरूप

देव जो हैं त्रैलोक्याधिपति,
सृष्टि के पालक, प्रभु महामति।
उनकी कृपा से वाणी होगी शुद्ध,
इसलिए पहले लिया उनका ही नाम ।।
(त्रैलोक्याधिपतिं प्रभुम्: तीनों लोकों के स्वामी और समर्थ)

३. ज्ञान का आधार

केवल अपनी इच्छा से नहीं लिखा कुछ भी,
अनुभव का सार खोजा है हर पथ।
नानाशास्त्रोद्धृतं ही है इसका मूल,
उपयोगी ज्ञान, है यह अमूल ।।
(नानाशास्त्रोद्धृतं: अनेक शास्त्रों (ग्रंथों) से निकाला गया सार)

४. ज्ञान की प्रस्तुति

ज्ञान है महान, इसलिए वक्ष्ये अब मैं,
शांत चित्त से सुनो यह ज्ञान।
मीठे शब्दों में कहता हूँ यह सार,
जीवन का रहस्य, यही सच्चा आधार ।।
(वक्ष्ये: मैं कहने जा रहा हूँ)

५. ग्रंथ का उद्देश्य

नीति का संग्रह, यही समुच्चय,
सफलता और सुख की यही है विजय।
राजनीति मतलब जीने का धर्म,
कर्म करने का यही सच्चा मर्म ।।
(राजनीतिसमुच्चयम्: राजनीति (जीवन व्यवहार नीति) का संग्रह)

६. कार्य की महानता

प्रजा और राजा, दोनों ही समान,
नीति का पालन, यही सच्चा सम्मान।
जीवन में चाहिए अगर सुख और शांति,
तो करो चाणक्य नीति का पठन-पाठन ।।
(समान: एक ही नीति के नियमों में बंधे हुए)

७. निष्कर्ष और समर्पण

नम्रता ही है ज्ञान का आधार,
ईश्वर का स्मरण, यही सच्चा भार।
चाणक्य नीति का यह पहला श्लोक,
राह दिखाता है तीनों लोक ।।
(आधार: नींव/मूल, भार: जिम्मेदारी)

✨ समाप्त – "नम्रता, ज्ञान और नीति" यही जीवन के तीन स्तंभ हैं। 🌿

--अतुल परब
--दिनांक-30.10.2025-गुरुवार.
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