ऎसा खत में लिखो

Started by janki.das, January 02, 2012, 08:07:57 PM

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janki.das


हि कविता मराठी आहे की नाहि याबद्दल वाद असेल, पण मराठी मातीतली मात्र आहे.

"पत्रात लिव्हा" हि कविता म्हणजे "ऎसा खत में लिखो" चा नारायण सुर्वे यांनी केलेला स्वैर अनुवाद.
नोकरी निमित्ताने परदेशी असलेल्या नवर्‍याला लिहिलेले पत्र आहे. ती स्त्री हे पत्र कोणाकडून तरी लिहून घेत आहे, त्यामुळे त्याला उद्देशून "ऎसा खत में लिखो" हे शब्द आलेले आहेत.


मैं अच्छी हूं घबराऊ नको ऎसा खत में लिखो ।
कोणी मेल्याने तुझको लिखा मैं निकली रोडापर
अगर तुझको शक है मुझपर नहीं निकलूंगी बाहर
मैं पानी को जाऊ क्या नको ऎसा खत में लिखो ।

सौ रुपये का हिसाब माँगे तो मैने घर मे क्या खाई
लाईट को वीस दी पानी के तीस दी पचीस का राशन लाये
दी पचवीस दुधवाले को ऎसा खत मे लिखो ।

पहली बार आए कुछ नही लाये अबकी बार लाना टेप
बेबी बडी हुई ऎकने को ऎसा खत में लिखो
मैं अच्छी हूं घबराऊ नको ऎसा खत में लिखो ।

बाबा को आया बुखार खाँसी प्रायव्हेट मे गयी उसको लेकर
सौ रुपया लिया इंजेक्शन दिया असर नही हुआ बच्चे पर
मैं जे. जे. को जाऊ क्या नको ऎसा खत में लिखो ।

आवाजे – निस्वाँ है महिला मंडल जाती मै उस मिटींग को
तेरी बहन को शौहर जब पिटता जाती सब धमकाने को
उसको मदद मैं करू क्या नको ऎसा खत में लिखो ।

जबसे गया तू बिगडा है माहौल फसाद का डर है मुझको
मजहब के नाम पे कैसे ये झगडे अमन से रहना है सब को
ये वस्ती में समजाऊँ क्या नको ऎसा खत में लिखो ।

महाँगाई इतनी, रोजगार भी नही तेरे जैसे जाते दुबई को
घर भी कितने टूट जाते देखो दुख होता मेरे मन को
तू आजा जल्द मिलने को ऎसा खत में लिखो ।

सौदी जाके, दुबई जाके कितने दिन हम टिकेंगे
इसी समाज को हमको बदलना बच्चों के लीए अपने
मैं मोर्चे मे जाऊ क्या नको ऎसा खत में लिखो ।

कोणी मेल्याने तुझको लिखा मैं निकली रोडापर
मिटींग मे जाती मोर्चे मे जाती सुधरने जिंदगानी को
तू भी आज साथ देने को एसा खत मे लिखो
मैं अच्छी हूं घबराऊ नको ऎसा खत में लिखो ।

- शहनाज शेख - गीता महाजन