✍️ कविता: "मेरा जीवन तुम्हारा है"🌍💖🏠🔒🔑💫

Started by Atul Kaviraje, November 20, 2025, 03:57:46 PM

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Atul Kaviraje

तुम जहाँ भी रहो, खुशी से जियो।
मेरी खुशी वहीं है।
अपनी जान की रक्षा करते रहो, क्योंकि,
मेरा जीवन तुम्हारा है।

✍️  कविता: "मेरा जीवन तुम्हारा है"

1. स्थान की प्रतिज्ञा (पहिला कदवा)
नक्शे के उस पार, दूर के तारे के नीचे,
चाहे प्यारे, मील कितने भी चौड़े हों,
मेरी एक विनती, एक इच्छा जो मैं तुम्हें भेजता हूँ:
तुम जहाँ भी रहो, खुशी से जियो, सच्ची।

अर्थ: भौतिक दूरी या स्थान चाहे जो भी हो, वक्ता की अपने प्रिय के लिए एकमात्र इच्छा यही है कि वे सच्ची खुशी से भरा जीवन जिएँ।

2. आनंद का स्रोत (दूसरा कदवा)
मैं उन खेतों में खुशी नहीं ढूँढता जहाँ मैं घूमता हूँ,
न ही अपने परिचित घर की दीवारों में।
मुझे बस तुम्हारी आत्मा की चमक जानने की ज़रूरत है,
क्योंकि वहीं मेरी खुशी है, प्रकाश।

अर्थ: वक्ता का अपना आनंद उसके परिवेश या गतिविधियों से उत्पन्न नहीं होता, बल्कि पूरी तरह से उसके प्रियतम की भलाई और खुशी पर निर्भर करता है और उसी में निहित होता है।

3. आत्म-देखभाल की याचना (तिसरा कदवा)
संसार नाज़ुक है, छायाएँ उठती-गिरती रहती हैं,
इसलिए मेरी चिंतित, फिर भी समर्पित पुकार पर ध्यान दो।
सतर्क कदमों से, और एक सचेत कला के साथ,
हे मेरे प्रियतम हृदय, अपने जीवन की रक्षा करते रहो।

अर्थ: वक्ता अपने प्रियतम से अपना ध्यान रखने के लिए कहता है, यह समझते हुए कि जीवन अनिश्चित हो सकता है और इसके लिए सावधानीपूर्वक ध्यान और आत्म-संरक्षण की आवश्यकता होती है।

4. कारण (चौथा कदवा)
मैं केवल एक उपकार नहीं चाहता,
न ही कोई कमज़ोर वचन।
सरल सत्य, जो मेरे उद्देश्य को स्पष्ट करता है,
मैं आपसे अपनी अनमोल सुरक्षा को अपने पास रखने की विनती करता हूँ।

अर्थ: आत्म-देखभाल की याचना कोई साधारण याचना नहीं है, बल्कि एक गहन गंभीर याचना है, जो एक महत्वपूर्ण अंतर्निहित सत्य में निहित है।

5. एक साझा अस्तित्व (पाचवा कदवा)
क्योंकि मैं अकेला व्यक्ति नहीं हूँ,
मेरी आत्मा वहीं निहित है जहाँ तुम पले-बढ़े हो।
हम आपस में गुंथे हुए हैं, जैसे नदियाँ समुद्र से,
तुम्हारा कल्याण ही मेरे लिए एकमात्र संसार है।

अर्थ: वक्ता उनके जीवन की गहन परस्पर निर्भरता को व्यक्त करता है, यह बताते हुए कि उनका अस्तित्व पूरी तरह से प्रियतम के साथ गुंथा हुआ है और उसी द्वारा परिभाषित है।

6. परम समर्पण (साहावा कदवा)
क्योंकि तुम्हारा भाग्य मेरे भाग्य से जुड़ा है,
एक पवित्र, पवित्र और आत्मसात करने वाला डिज़ाइन।
मैं जो साँस लेता हूँ, जो कदम उठाता हूँ,
मेरा जीवन तुम्हारा है, और केवल तुम्हारा।

अर्थ: निवेदन का मूल कारण: वक्ता का जीवन पूरी तरह से प्रियतम को समर्पित और उसका स्वामी है, जिससे प्रियतम की रक्षा सर्वोपरि हो जाती है।

7. स्थायी प्रतिज्ञा (सातवा कदवा)
इसलिए मेरे प्रेम को अपनी ढाल और मार्गदर्शक बनने दो,
एक सतर्क शक्ति, चाहे तुम कहीं भी छिपो।
खुशी से और आज़ादी से जियो, किसी भी बुराई को अपनी नज़रों से ओझल मत होने दो,
क्योंकि जब तुम फलो-फूलोगे, तो मेरा जीवन भी फलेगा-फूलेगा।

अर्थ: कविता इस वादे के साथ समाप्त होती है कि वक्ता का प्रेम सुरक्षा का काम करेगा। वक्ता तभी फल-फूल सकता है जब उसका प्रिय सुरक्षित, खुश और फलता-फूलता हो।

✨ इमोजी सारांश (इमोजी सारांश)
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--अतुल परब
--दिनांक-20.11.2025-गुरुवार.
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