🙏🕉️📖 🎯 कर्म योग-श्रीमद् भगवद् गीता - श्लोक 14-💖 'कर्मचक्र'🌾🌧️🔥🛠️🔄💖👑

Started by Atul Kaviraje, November 20, 2025, 09:47:16 PM

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Atul Kaviraje

तीसरा अध्यायः कर्मयोग-श्रीमद्भगवदगीता-

अन्नाद् भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसंभवः।
यज्ञाद् भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्मसमुद् भवः।।14।।

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🎯 कर्म योग-श्रीमद् भगवद् गीता - श्लोक 14 पर आधारित एक लंबी मराठी कविता

(भक्ति से भरपूर, सुंदर, अर्थपूर्ण, सरल, सादा, सीधा, सहज, रसीला, तुकबंदी के साथ)

📜 मूल श्लोक
अन्नाद् भवन्ति भूतानि पर्जन्यदन्ना संभवः। यज्ञाद् भवन्ति पर्जन्यों यज्ञः कर्मसमुद् भवः।।14..

अर्थ का सारांश (छोटा अर्थ): जीव भोजन पर जीवित रहते हैं, भोजन बारिश से आता है, बारिश यज्ञ से होती है और यज्ञ कर्म से होता है। यह चक्र अंतहीन चलता रहता है।

💖 'कर्मचक्र' - भक्ति कविता

1. (पहला कड़वा) - जीवन और भोजन 🌾

भूतों का जीवन, भूतों का सहारा,
भोजन के कारण उन्हें एक नया आकार मिलता है। (भूतों का जीवन भोजन पर निर्भर करता है।)
भोजन अमृत है, शरीर का पोषण है, इस घास के बिना जीवन फल-फूल नहीं सकता।

2. (दूसरा कड़वा) - भोजन का स्रोत बारिश है 🌧�

लेकिन यह भोजन कैसे बनता है?
यह आकाश से, पानी की शक्ति से आता है।
(खाद्य उत्पादन के लिए पानी, यानी बारिश की ज़रूरत होती है।)
ज़मीन बारिश से ही चलती है, बारिश के बिना खेती बेकार है।

3. (तीसरा कड़वा) - बारिश का मूल त्याग है 🔥

वह बारिश आती है, त्याग की कृपा से,
जिसमें त्याग, भक्ति और जागरूकता होती है।

(त्याग से बारिश होती है।)
प्रकृति का नियम, कभी नहीं टूटना चाहिए, त्याग ही बारिश का मौका है।

4. (चौथा कड़वा) - त्याग का मूल कर्म है 🛠�

त्याग ही कर्म का आधार है,
हर कर्म का विस्तार होता है।

(त्याग (बलिदान) सिर्फ़ कर्म से होता है।)
बिना कर्म के यज्ञ, सिर्फ़ एक विचार, त्यागपूर्ण कर्म, यही सच्ची साधना है।

5. (पांचवां कड़वा) - कर्म का बंधन ⛓️

कर्म ही सूत्र है, कर्म का प्रवाह है,
ईश्वरीय नियमों का सच्चा सार है।

(कर्म ही सृष्टि का सूत्र है।)
फल की आसक्ति, हर कीमत पर टालनी चाहिए, यही निस्वार्थ कर्म की सच्ची कहानी है।

6. (छठा कड़वा) - पहिये का महत्व 🔄

यह पहिया, इस तरह, अंतहीन चलता रहता है,
त्याग और पोषण से, जीवन फलता-फूलता है।

यह सृष्टि का पहिया अंतहीन और एक-दूसरे पर निर्भर है।)
कर्म-यज्ञ-पर्जन्य-अन्न और जीवन, यही कर्म का योग है, ईश्वर का वचन है।

7. (सातवां कड़वा) - भक्ति का निष्कर्ष 🙏

इसलिए, हे मनुष्य, कर्म से मत बचो,
स्वार्थ को छोड़कर कर्म करो, अपना धर्म।

(इसलिए, मनुष्य के लिए निस्वार्थ कर्म करना ज़रूरी है।)
अर्जुन, तुम्हारा यह कर्म वाकई महान है, यही सृष्टि का खजाना है, ईश्वर का ध्यान करते रहो।

इमोजी सारांश (इमोजी सारांश): 🌾🌧�🔥🛠�🔄💖👑🙏

--अतुल परब
--दिनांक-20.11.2025-गुरुवार.
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