🧘‍♀️ कर्म के बंधन से मुक्ति का रास्ता🌸(श्रीमद्भगवदगीता - चैप्टर 3, श्लोक 19)☀️

Started by Atul Kaviraje, November 25, 2025, 07:27:19 PM

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Atul Kaviraje

तीसरा अध्यायः कर्मयोग-श्रीमद्भगवदगीता-

तस्मादसक्तः सततं कार्यं कर्म समाचर।
असक्तो ह्याचरन्कर्म परमाप्नोति पूरुषः।।19।।

🧘�♀️ कर्म के बंधन से मुक्ति का रास्ता (निष्काम कर्म योग) 🌸

(श्रीमद्भगवदगीता - चैप्टर 3, श्लोक 19)

श्लोक: तस्माद् सक्ता: सततं कार्यं कार्यं समाचार। आसक्तो ह्यचारंकर्म परमप्नोति पुरुष: 19.

छोटा मतलब: इसलिए आसक्ति छोड़कर हमेशा अपना काम पूरी तरह से करो; क्योंकि जो बिना आसक्ति के काम करता है, उसे भगवान मिल जाते हैं।

लंबी मराठी कविता: कर्म के बंधन से मुक्ति का रास्ता

1. शुरुआत (आरंभ)

इसलिए, हे मनुष्य, अब गुप्त ज्ञान सुनो,
कभी भी फल पर ध्यान मत लगाओ;

मतलब: (तस्मात् असक्ता:) श्री कृष्ण कहते हैं कि पहले बताए गए सभी नतीजों से, अब यह गुप्त ज्ञान सुनो - कर्म के फल में कभी आसक्ति मत रखो। जो भी तुम्हारा कर्तव्य है, उसे तुम्हें हमेशा करना चाहिए, तुम्हें हमेशा अपने दिल में वैराग्य की भावना जगानी चाहिए।

मतलब: (सतातं कर्म समाचार) जो भी तुम्हारा तय किया हुआ कर्तव्य है, उसे तुम्हें अपने मन में किसी भी भ्रम या आसक्ति के बिना, नियमित रूप से और अच्छी तरह से करना चाहिए।

☀️🙏🌿 कर्म 💫

2. आसक्ति का बंधन

आसक्ति का सूत्र एक बहुत बड़ा भ्रम है,
यह तुम्हें बंधन में फंसाता है, और आत्मा दुखी हो जाती है;

मतलब: कर्म के फल की इच्छा (आसक्ति) एक बहुत बड़ा भ्रामक बंधन है, जिसमें फंसने से इंसान दुखी और विचलित हो जाता है।

'मैं कर्ता हूँ, मैं भोग रहा हूँ,' यह अहंकार बढ़ता है, और फिर मन को सुख-दुख के चक्र में मीठा कर देता है।

मतलब: 'मैंने यह किया, मुझे यह मिला/मिलेगा' के अहंकार से इंसान कर्म के बंधन को मान लेता है और सुख-दुख के चक्र में फंस जाता है।

🔗⛓️💔 मोह 🎭

3. कर्म का असली रूप

कर्म ही तुम्हारा धर्म है, तुम उसके शाश्वत रूप हो,
अच्छा करते रहो, चाहे कोई भी रूप हो;

मतलब: अपना कर्तव्य करना ही सच्चा धर्म है। उसकी क्वालिटी अच्छी होनी चाहिए, लेकिन उस कर्म के रूप या रंग (फल के) की उम्मीद मत करो।

फल मिलने की चिंता भगवान पर छोड़ देनी चाहिए, और हमेशा त्याग की भावना को अपने दिल से जोड़े रखना चाहिए।

मतलब: (कार्यं कर्म समाचार) तुम्हें अपने कर्म के फल की चिंता और उम्मीद भगवान पर छोड़ देनी चाहिए। तुम्हें हमेशा त्याग और समर्पण की भावना अपने मन में रखनी चाहिए।

🎯👑🎁 धर्म 🎯

4. अनासक्ति का भाव

जब तुम कर्म करो, आसक्ति हटा दो,
तो वह आदमी निश्चित रूप से सबसे ऊँची अवस्था को प्राप्त करेगा;

अर्थ: (अष्टो हयाचारं कर्म) जो आदमी बिना आसक्ति के अपना कर्तव्य करता है, वह आदमी निश्चित रूप से सबसे ऊँचे और सबसे अच्छे मुकाम पर पहुँचेगा।

अगर आप बिना नतीजे के कर्म करते हैं, तो भी आपको अपना विश्वास नहीं छोड़ना चाहिए, कर्तव्य की पूर्ति को ही भगवान की पूजा मानना ��चाहिए।

अर्थ: अगर आप नतीजे की उम्मीद नहीं करते हैं, तो भी आपको कर्म में अपना विश्वास नहीं छोड़ना चाहिए। आपके हर कर्म की पूर्ति को ही भगवान की सच्ची पूजा मानना ��चाहिए।

💖🕊�🌟 वफ़ादारी ✨

5. परम मार्ग के फ़ायदे

मन शुद्ध, पवित्र, अंदरूनी हो जाता है,
तब ज्ञान का रास्ता और भी पक्का हो जाता है;

अर्थ: बिना इच्छा के कर्म करने से मन (दिमाग) शुद्ध हो जाता है और अंदरूनी आत्मा प्रकाशित हो जाती है। इससे आत्म-ज्ञान का रास्ता आसान और मज़बूत हो जाता है।

तब परम तत्व सीधे मिल जाता है, आत्मा और शिव एक हो जाते हैं, भेद सीधे मिट जाता है। मतलब: (परम अप्नोति) इस तरह से शुद्ध हुआ मन आत्म-ज्ञान प्राप्त करता है और सीधे परमात्मा (ईश्वर) को पाता है। 'आत्मा' (आत्मा) और 'शिव' (परमात्मा) एक हैं, यह भेद खत्म हो जाता है।

🌌🌠🔱 मुक्ति 💎

6. उदाहरण (उदाहरण)

जैसे किसान फल की उम्मीद किए बिना काम करता है,
सिर्फ मिट्टी की सेवा करना, यही उसकी तपस्या है;
मतलब: जैसे किसान, जो तुरंत फल की उम्मीद किए बिना, बस अपना काम (हल चलाना, बोना) करता रहता है। मिट्टी की सेवा ही उसकी सच्ची तपस्या है।
एक सैनिक सीमा पर लड़ता है, नाम के फल के लिए नहीं, देश की सेवा ही भक्ति है, कर्म योग से ताकत मिलती है।
मतलब: सीमा पर सैनिक सिर्फ कर्तव्य समझकर लड़ता है, उसे मिलने वाले सम्मान की उम्मीद नहीं होती। देश के प्रति उसकी सेवा ही उसकी सच्ची भक्ति है, जो उसे कर्म की ताकत देती है।

🌾🇮🇳🛡� सेवा 🏹

7. समर्पण

इस रास्ते पर चलकर तुम सच्चे इंसान बन जाते हो,
दुनिया में काम करने वाले को आत्म-साक्षात्कार मिल जाता है;

मतलब: (परम अप्नोति पुरुषः) हर इंसान जो वैराग्य के रास्ते पर चलता है, उसे सच्चा मर्दानगी मिलती है। वह दुनिया में रहते हुए भी कर्म योग को प्राप्त करता है और आत्म-साक्षात्कार पा लेता है।

कर्म करो, फल के लिए नहीं, यही गीता का सार है, कर्म योग के निस्वार्थ अभ्यास से जीवन का एहसास होता है।

मतलब: 'कर्म करो, फल की इच्छा मत करो', यही भगवद गीता के कर्म योग का मुख्य संदेश है। यह निस्वार्थ कर्म योग इंसान के जीवन को सफल बनाता है।

🙏🕉�💖 खुशी 😊

इमोजी सारांश
☀️🌿👑💖🌌🌾🇮🇳🙏🕉�😊🧘

--अतुल परब
--दिनांक-25.11.2025-मंगळवार.     
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