🎉 तुये जात्रा: भक्ति और खुशी का त्योहार 🎡🏞️ 🏘️ 🔔 🎊 🔱 🙏 🧘 💖 🎡 🎈 🍬 🎭

Started by Atul Kaviraje, November 25, 2025, 07:53:38 PM

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Atul Kaviraje

तुये जत्रा-गोवा-

तुये जात्रा गोवा के मशहूर मेलों में से एक है, जो खास तौर पर पेरनेम तालुका के तुये गांव में मनाया जाता है। यह मेला श्री सिद्धेश्वर मंदिर में लगता है।

🎉 तुये जात्रा: भक्ति और खुशी का त्योहार 🎡

📜 लंबी मराठी कविता (तारीख: 25 नवंबर 2025 - मंगलवार)

यह कविता गोवा के तुये गांव में होने वाले पारंपरिक 'तुये जात्रा' (श्री सिद्धेश्वर जात्रा) त्योहार की भक्ति, उत्साह और सांस्कृतिक माहौल के बारे में बताती है।

स्टैंज़ा 1

लिरिक्स: तुये गांव की खूबसूरती और मेले के आने का इंतज़ार।

गोवा का तुये गांव, शांत और खूबसूरत,
आज मेला तैयार है, मेरा दिल बेताब है।
सिद्धेश्वर का मंदिर बड़ा है, भक्तों की भीड़ भारी है,
मेला भरा है, खुशियां आई हैं, यह त्योहार एकदम सही है।

🏞� 🏘� 🔔 🎊

मतलब:
गोवा का तुये गांव शांत और सुंदर है।
आज मेले के लिए इसे सजाया गया है और मन उत्साह से भरा हुआ है।
श्री सिद्धेश्वर का मंदिर बड़ा है और भक्तों की बहुत भीड़ जमा हुई है।
मेला भरा हुआ है और खुशी आई है, यह एक खास त्योहार है।

स्टैंज़ा 2

भाव: श्री सिद्धेश्वर और देवी का महत्व।

सिद्धेश्वर सच्चे भगवान हैं, आपके गांव के भगवान,
वह हमेशा उनके साथ रहते हैं, देवी का हाथ।
जो भगवान आपको नवसाला देते हैं, उनकी बड़ी महिमा,
आपको मेले में भक्त मिलते हैं, सच्ची, सच्ची शांति।

🔱 🙏 🧘 💖

मतलब:
सिद्धेश्वर सच्चे भगवान हैं, आपके गांव के भगवान।
वह हमेशा देवी के हाथ (आशीर्वाद) के साथ रहते हैं।
जो भगवान आपको नवसाला देते हैं, उनकी बड़ी महिमा है।
भक्तों को इस मेले में सच्ची शांति मिलती है।

स्टैंज़ा 3

मतलब: मेले में उत्साह और खेल।

मेला बड़ी गाड़ियों के साथ शुरू हो गया है, वे खूबसूरती से घूम रही हैं,
छोटे बच्चे, बूढ़े, खुशी से मान लेते हैं।
मिठाई और खिलौने, स्टेज तैयार है,
गोमांतकी रंग में रंगी है, यह भक्ति का घाट है।

🎡 🎈 🍬 🎭

मतलब:
मेला बड़ी गाड़ियों के साथ शुरू हो गया है, वे खूबसूरती से घूम रही हैं।
छोटे बच्चे और बूढ़े इसमें खुशी से हिस्सा ले रहे हैं।
मिठाई और खिलौनों के स्टॉल लगाए गए हैं।
यह भक्ति उत्सव गोवा के रंगों में रंगा हुआ है।

स्टैंज़ा 4

मतलब: पारंपरिक कला और संगीत।
ढोल और झांझ की आवाज़ गूंजती है, शहनाई बजती है,
लोक नृत्य का कार्यक्रम सुंदर है, सभी आनंद में हैं।
भजन-कीर्तन की धुन, मन भक्ति में डूबा हुआ है, सिद्धेश्वर की कृपा के लिए, सब जमा हुए हैं। ढोल-नगाड़ों की आवाज़ गूंज रही है, शहनाई की मीठी धुनें बज रही हैं। सुंदर लोक नृत्य का कार्यक्रम हो रहा है, सब आनंद में डूबे हुए हैं। भजन-कीर्तन की धुन, मन भक्ति में डूबा हुआ है। सिद्धेश्वर की कृपा के लिए, सब जमा हुए हैं। छंद 5 अर्थ: प्रसाद और नैवेद्य। मीठे शिरस और बड़े-सांभर, तरह-तरह के प्रसाद स्वादिष्ट हैं, भक्तों में बांटे जाते हैं, यही देवी का प्रसाद है। प्रसाद मुंह में लेते ही संतुष्टि का एहसास होता है, मेले में यह सेवा, हे भगवान, आपने स्वीकार की है। 🍚 🍮 😋 🙏

मतलब:
मीठे चावल और बड़े-सांभर जैसे कई तरह के स्वादिष्ट प्रसाद बनाए जाते हैं।
देवी का यह प्रसाद भक्तों में बांटा जाता है।
प्रसाद मुंह में लेने के बाद संतुष्टि का एहसास होता है।
हे भगवान, मेले में यह सेवा स्वीकार करें।

छंद 6

मतलब: सिद्धेश्वर से विनती और आभार।

हे भगवान, मुसीबतों के सारे पहाड़ हटा दो,
भक्ति आपके चरणों में बनी रहे, यही सच्ची सेवा है।
आपके मेले का अनुभव, स्वर्ग जैसा सुख देता है,
आपकी कृपा से जीवन में खुशियों की सुबह आती है।

⛰️ 😇 💫 ☀️

मतलब:
हे भगवान, मुसीबतों के सारे पहाड़ (बड़ी मुसीबतें) हटा दो।
भक्ति आपके चरणों में बनी रहे, यही सच्ची सेवा है।
आपके मेले का यह अनुभव स्वर्ग जैसा सुख देता है।
आपकी कृपा से जीवन में खुशियों की सुबह आती है।

स्टैंज़ा 7

लिरिक्स: कविता का निष्कर्ष और मेले का महत्व।

यह कविता रसीली, सरल है, मेले के गुण गाती है,
आप गाँव का सम्मान बढ़ाते हैं, संस्कृति ज़िंदा रहती है।
सिद्धेश्वर का नाम, यही परम सत्य है,
मेले में इस उत्साह से, मन सेवक बन गया है।

✍️ 🗣� ❤️ 🌟

अर्थ:
यह कविता रसीली, सरल है और मेले के गुण गाती है।
आप गाँव का सम्मान बढ़ाते हैं और हमारी संस्कृति को ज़िंदा रखते हैं।
सिद्धेश्वर का नाम परम सत्य है।
मेले में इस उत्साह से, मन संतुष्ट हो गया है।

🖼� कविता का सारांश

यह कविता गोवा के तुये जात्रा (श्री सिद्धेश्वर जात्रा) त्योहार पर आधारित है। मेले के लिए शांत और खूबसूरत तुये गांव को कैसे सजाया जाता है, इसकी जानकारी शुरू में दी गई है।
श्री सिद्धेश्वर गांव के नाथ हैं, और वही मनोकामनाएं पूरी करते हैं और शांति देते हैं।
मेले में एक बड़ा जुलूस, मिठाइयों का प्रदर्शन और गोमांतकी (गोवा) की संस्कृति दिखाई जाती है।
ढोल-नगाड़ों, लोक नृत्य और भजन-कीर्तन से भक्ति का माहौल बनता है।
शिरा, वड़े-सांभर जैसे प्रसाद भक्तों में बांटे जाते हैं।
आखिर में, ज़रूरी संदेश यह है कि यह मेला सिद्धेश्वर से प्रार्थना करके संस्कृति को ज़िंदा रखता है ताकि परेशानियां दूर हों और खुशियों की सुबह आए।

🎨 इमोजी समरी🏞� 🏘� 🔔 🎊 🔱 🙏 🧘 💖 🎡 🎈 🍬 🎭 🥁 🎶 💃 🇮🇳 🍚 🍮 😋 🙏 ⛰️ 😇 💫 ☀️ ✍️ 🗣� ❤️ 🌟

--अतुल परब
--दिनांक-25.11.2025-मंगळवार.
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