🌺 कविता - 'मोह का फ़ॉर्मूला' 🌺 🏹😰😔🤔🙏🏼🤦🏼‍♂️👨‍👩‍👧‍👦💔😵‍💫🧠⚖️🧘‍♂️❌

Started by Atul Kaviraje, December 02, 2025, 06:09:57 PM

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Atul Kaviraje

॥ ज्ञानेश्वरी भावार्थदीपिका ॥
॥ अथ प्रथमोऽध्यायः – अध्याय पहिला ॥

॥ अर्जुनविषादयोगः ॥

तयापरी तो पांडुकुमरु । महामोहें अति जर्जरु ।देखोनि श्रीशारङ्गधरु । काय बोले ॥ ५ ॥

पंडूचा पुत्र अर्जुन याप्रमाणे महामोहाने जर्जर झालेला पाहून श्रीकृष्ण काय बोलला ते ऐका. ॥२-५॥

🌺 कविता - 'मोह का फ़ॉर्मूला' 🌺

- ज्ञानदेव की कविता का मतलब -

1.
पहला अध्याय खत्म हुआ, अर्जुन का दुख कम हो गया,
युद्ध के मैदान में, वह सिर्फ़ 'विषाद' से सुशोभित था।
उस हालत में, पांडवों का बेटा,
होश खोकर बैठ गया, क्षत्रिय की आत्मा चली गई थी। 🏹😰😔🤔

मतलब:
गीता का पहला अध्याय खत्म हुआ, अर्जुन का दुख रुक गया (शांत हो गया)।
युद्ध के मैदान में, वह सिर्फ़ दुख (विषाद) से भर गया था।
उस हालत में, पांडवों का बेटा होने के बावजूद, वह अपनी चेतना भूल गया था;
उसमें क्षत्रिय वाला जोश (स्पिरिट) नहीं बचा था।

2.
'तो, हे पांडुकुमारु, वह भक्ति से अपनी माँ की पूजा करे,
और गांडीव को छोड़कर बैठ जाए, कहीं ऐसा न हो कि उसका कर्तव्य पूरा हो जाए।
रिश्तेदार, गुरु, सभी रिश्तेदार दिख रहे हैं,
भ्रम के बंधन में सारी बुद्धि खो गई है। 🙏🏼🤦🏼�♂️👨�👩�👧�👦💔

मतलब:
ज्ञानेश्वर मौलि कहते हैं, 'वैसे ही, वह पांडवों का बेटा है।'
उसने अपना धनुष एक तरफ रख दिया, उसका कर्तव्य पूरा नहीं हो रहा था।
उसके सभी रिश्तेदार और गुरु उसके सामने आने लगे
और इस भ्रम के बंधन में उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो गई।

3.
'वह बहुत बड़े भ्रम के कारण बहुत थक गया था', उसका मन बहुत कमजोर हो गया था,
वह मोह के जाल में फंस गया था, उसका धर्म खो गया था।
शरीर नहीं, उसका मन थक गया था,
कर्तव्य के बोझ तले, वह आत्म-ज्ञान भूल गया। 😵�💫🧠⚖️🧘�♂️

मतलब:
'वह बहुत ज़्यादा भ्रम के कारण बहुत थक गया था', उसका मन बहुत कमज़ोर हो गया था।
मोह के जाल में फँसकर, उसे अपना कर्तव्य (धर्म) छोटा लगने लगा था।
उसका शरीर नहीं, बल्कि उसका मन थक गया था,
जिससे वह आत्म-ज्ञान भूल गया।

4.
अज्ञान और मोह, इनका स्वभाव ही भ्रम है,
यह एक ज़हरीला योग बन गया, कर्म पथ के साथ धोखा।
जिसके लिए वह खड़ा था, वह मकसद ही भूल गया,
हालाँकि स्वार्थ का प्यार नहीं था, भ्रम फैल गया। ❌💡💞❓

मतलब:
अज्ञान और मोह मिलकर भ्रम का रूप बन गए।
यह ज़हरीला योग (दुखयोग) कर्म के मार्ग (कर्तव्य के मार्ग) के साथ धोखा था।
वह उन वजहों को ही भूल गया था जिनके लिए वह खड़ा था।
स्वार्थ का ज़रा सा भी निशान न होते हुए भी, उसके मन में उलझन पैदा हो गई।

5.

'देखोनि श्रीशारंगधरु', भगवान की वह दया,
सारथी ही योगेश्वर है, शिष्य की भावना।
शारंगधर नाम, हथियार और ज्ञान का संकेत देता है,
धर्म का रक्षक, वह अब ज्ञान की तारीफ़ करेगा। 👑 सारथी 💖🗣�

मतलब:

'यह देखकर, श्री शारंगधर', मतलब कि भगवान श्री कृष्ण को उस पर दया आ गई।
योगेश्वर (कृष्ण), जो सारथी हैं, अपने शिष्य की मन की हालत (भावनाओं) को देख रहे थे।
शारंगधर नाम (धनुष पकड़े हुए) हथियार और ज्ञान का प्रतीक है।
श्री कृष्ण, जो धर्म के रक्षक हैं, अब उन्हें ज्ञान का रहस्य बताएंगे।

6.
कृष्ण जानते थे कि यह सिर्फ़ दुख नहीं है,
मोह नाम का राक्षस, उसका 'हा' एक गाली जैसा है।
अब समय आ गया है, युग का भला करने का,
धर्म की स्थापना करने का, आत्म-ज्ञान सिखाने का। 😈⏱️🌍🇮🇳

मतलब:
श्री कृष्ण अच्छी तरह जानते थे कि यह सिर्फ़ दुख नहीं है।
'मोह' नाम का राक्षस अर्जुन की बुद्धि को नष्ट कर रहा है।
अब दुनिया का भला करने और धर्म की स्थापना करने का
उसे आत्म-ज्ञान सिखाने का सही समय था।

7.
तो 'क्या किया' उन्होंने, भक्त कृष्ण ने,
सवालों के जवाब दिए, मन का दर्द दूर हो गया।
ज्ञानेश्वरी का अमृत, उनके मुँह से फूट पड़ा,
फिर हाँ शुरुआत हुई, भागवत धर्म का जन्म हुआ। 🗣�🍯📖🙏🏼

मतलब:
तो भक्त-प्रेमी कृष्ण ने 'क्या' कहा।
वे अर्जुन के सवालों का जवाब देंगे और उसके मन का दुख दूर करेंगे।
ज्ञानेश्वरी के अमृत के वचन उनके मुख से प्रकट हुए
और अब भागवत धर्म से सुशोभित ज्ञान का उपदेश शुरू होगा।

✨ कविता का सारांश (इमोजी सारांश) ✨
🏹😰😔🤔🙏🏼🤦🏼�♂️👨�👩�👧�👦💔😵�💫🧠⚖️🧘�♂️❌💡💞❓👑💖🗣�😈⏱️🌍🇮🇳🍯📖🙏🏼

--अतुल परब
--दिनांक-01.12.2025-सोमवार. 
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