भाव माझ्या मनातला तुजला कधी कळेल का?
सूर प्रीतीचा नवा सांग कधी जुळेल का?
अ.वि.दाते.
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प्रेम म्हणजे ईश्वराची माया झाडाची शीतल छाया,
उपमा अन्य न सुचे मजला तुझ्या माझ्या प्रेमा या.
अ.वि.दाते.
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प्रेम कसं व्हावं कळीनं जसं उमलावं,
पण हे सारं कही अगदी नकळत घडावं.
अ.वि.दाते.
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सामुद्राचा शांत किनारा, शांत सुन्दर नदी काठ,
आशा ठिकाणी सतत पडावी, तुझी नि माझी गाठ.
अ.वि.दाते.
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वैशाखातील सूर्याचे ऊन, वर्षा रुतूतिल कोकिळेचि धून,
रुतू एकही जात नाही, तुझी आठवण आल्यावाचून.
अ.वि.दाते.
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आयुष्यात माणसाला,
बरंच काही मिळतं,
बरंच काही हरवतं,
जेंव्हा प्रेम होतं.
अ.वि.दाते.