Author Topic: kahi kavita.......  (Read 2358 times)

Offline prachidesai

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kahi kavita.......
« on: October 09, 2010, 12:40:27 PM »
"डोळे पुसण्यास माझे
पाऊस धावूनी आला,
थेंब कोणता तुझा नि माझा
हेच कळेना म्हणाला."

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Break up msg:
"कसे करू माफ़ तुला
जे घाव तू मला दिले......
घेऊन माझी फूले
तू काटेच मला दिले...... "

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"तो ढग बघ कसा
बरसण्यासाठी आतुरलाय
तुझ्या चिंब गालावरुन ओघळला
म्हणुन थेंबसुद्धा आनंदलाय"

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'देवा एकाच मागणी
तिची पापणी भरू दे
माझ्या नावाचा एक तरी थेंब
तिच्या नयनी तरु दे.. "

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"तू समोर असतेस
तेंव्हा बोलू देत नाहीस,
तू समोर नसतेस
तेंव्हा झोपू देत नाहीस"

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"जेव्हा तुला माझे शब्द पटतील
तुझ्याही नजरेत तेव्हा, माझ्यासाठी अश्रू दाटतील....
माझ्यासाठी रडणारे ते अश्रू, तेव्हा तुझ्यावरच हसतील
कारण तुझ्या गालांवर टिपणारे त्यांना.....ते ओठ तेव्हा माझे नसतील...!!!!"

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"तुझ्या डोळ्यातील इवलासा अश्रू
मला समुद्राहूनही खोल वाटला
कारण मीचं होतो म्हणून
माझ्या डोळ्यात समुद्र दाटला"

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"सखे बघ माझ्या प्रेमाचा हा पारवा..
भिरभिर भिर तुला शोधतो..
नयनात त्याच्या तुझेच प्रतिबिंब..
तुझ्या साथिचे अखंड जिवन मागतो.." ♥ ♥ ♥

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"सावरू कशी स्वताला
जडली तुझ्यावर प्रीत रे
आता माझ्या ओठांवर
फ़क्त तुझेच गीत रे..!!" ♥ ♥ ♥

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आठवते तुला ती पहीली भेट
भावनांच्या चांदण्याने भरलेली
एका चंद्राने अलगद एका
चांदनीला मिठीत धरलेली"

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खुप काही घेवून आलास
माझ्या आयुष्यात येताना
म्हणुनच डोळे पाणावले
तू दूर जाताना..!!

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Marathi Kavita : मराठी कविता


Offline santoshi.world

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Re: kahi kavita.......
« Reply #1 on: October 11, 2010, 04:25:26 PM »
i like this one ..
"कसे करू माफ़ तुला
जे घाव तू मला दिले......
घेऊन माझी फूले
तू काटेच मला दिले...... "

 

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