Author Topic: त्रिवेणी संगम - ३  (Read 1746 times)

Offline केदार मेहेंदळे

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 2,673
  • Gender: Male
  • मला कविता शिकयाचीय ...
त्रिवेणी संगम - ३
« on: October 12, 2011, 12:42:55 PM »

"त्रिवेणी संगम" हा कवितेत एक नवीन प्रयोग  करून बघितला आहे. यात पहिल्या दोन ओळीनंतर येणारी तिसरी ओळ कविता पूर्ण करते अन कवितेला नवीन अर्थ देते.  नवीन प्रयोग आहे. काही कमी किंवा चूक झाली असेल तर कविते साठी चालवून घ्याव हि विनंती. ह्या कविता चार भागात पोस्ट करीन. आज भाग  तीसरा.  आवडल्यास रिप्लाय पोस्ट करावा.

त्रिवेणी संगम -  १ http://marathikavita.co.in/index.php/topic,6363.0.html
त्रिवेणी संगम - २ http://marathikavita.co.in/index.php/topic,6374.0.html

उकिरड्यावर टाकलेले अन्न हल्ली नसून जात म्हणे
कावळ्या कुत्र्यांनी खाउन सुद्धा उरत ते
 
खेड्यात भूक बळींची संख्या वाढलीय म्हणे हल्ली.
-----------------------------------------------------------

दिवसाला ३६ रुपये मिळवणारे गरीब नाहीत
सरकारनीच   जाहीर केलाय हा निकष
 
अरे वा! एका रात्रीत किती लोक दारिद्र्य रेषेच्या बाहेर आले बघितलस!
------------------------------------------------------------------------
 
घर भरलय वस्तूंनी, अन बँक पैशांनी
आयुष्य सुखानी जगण्या साठी जे जे   लागत ते सगळ मिळवल
 
अरेच्या! आयुष्य जगायचच राहून गेल की!
-------------------------------------------------------------------
 
ऑंफिसचा बंगला असतानाच फ्ल्याट घेतला मोठा
एक सेकण्ड होम, गावात हवेली, जमीन.
 
अरेच्या! शेवटी हा एक पुरुष खड्डाच पुरला की झोपायला.
-----------------------------------------------------------------------
 
किती हा उग्र दर्प. नाकावर रुमाल दाबून ठेवलाय.
नुकताच कोंबड्यांचा टेम्पो गेलाय वाटत रस्त्या वरून.
 
मृत्त्युचाही वास येतो म्हणे.
---------------------------------------------------------------------------

केदार....
 
त्रिवेणी संगम – 4 http://marathikavita.co.in/index.php/topic,6395.0.html
« Last Edit: June 27, 2012, 11:15:23 AM by केदार मेहेंदळे »

Marathi Kavita : मराठी कविता


Offline RohitDada

  • Newbie
  • *
  • Posts: 23
  • Gender: Male
Re: त्रिवेणी संगम - ३
« Reply #1 on: October 12, 2011, 12:51:18 PM »
सत्य परिस्थिती

Offline sylvieh309@gmail.com

  • Jr. Member
  • **
  • Posts: 104
  • Live your Life & make others to live it
Re: त्रिवेणी संगम - ३
« Reply #2 on: July 21, 2012, 11:23:29 AM »
घर भरलय वस्तूंनी, अन बँक पैशांनी
आयुष्य सुखानी जगण्या साठी जे जे   लागत ते सगळ मिळवल
 
अरेच्या! आयुष्य जगायचच राहून गेल की!
-------------------------------------------------------------------
 
ऑंफिसचा बंगला असतानाच फ्ल्याट घेतला मोठा
एक सेकण्ड होम, गावात हवेली, जमीन.
 
अरेच्या! शेवटी हा एक पुरुष खड्डाच पुरला की झोपायला.



ya oli aawadlya

 

With Quick-Reply you can write a post when viewing a topic without loading a new page. You can still use bulletin board code and smileys as you would in a normal post.

Name: Email:
Verification:
Type the letters shown in the picture
Listen to the letters / Request another image
Type the letters shown in the picture:
पाच गुणिले पाच किती ? (answer in English):