Author Topic: एक दुर्लक्षित सुंदरी  (Read 1961 times)

Offline amoul

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 650
  • Gender: Male
  • tAKE iT eASY
एक दुर्लक्षित सुंदरी
« on: November 14, 2011, 10:46:04 AM »
जे   डोळ्यांना  भावतं  ते  आणि  तेच  सुंदर  मानणारे  आपण  विसरून  जातो  कि  सुंदरता  त्यापलीकडेही  असते,
हि   कविता  तश्याच  एका  सुंदरीची  जिचं  सुंदरपण  तिच्या  दिसण्यात  नव्हतं तर  कर्तबगारीत  होतं,
एका   मोठ्या  हुद्द्यावर  काम  करणारा  माणूस  जेव्हा  कोरा  चेहरा  घेऊन  जगतो  तेव्हा  आपण  त्याला  कामाचा   ताण म्हणतो,
किंवा   त्यालाच  कर्तबगार  म्हणतो,  जवाबदार  म्हणतो,  हि  कविता  तश्याच  प्रकारे  जगणाऱ्या  एका  स्त्रीची  मग  आपण  तिला  सुंदर  का  म्हणू  नये ?
विश्वास  ठेवा   लचकणारी  कंबर  सुंदर  असतेच  पण  त्याहून  सुंदर  असते  घराचा   भार  सोसणारी  कंबर,  बाकी  तुम्ही   हुशार  आहातच.
 
 
 
 
तिचं  कुणी  नव्हतं  आणि   तीही  नव्हती  कुणाची,
ती  एकलीच   जगायची  ती  शक्ती  होती  मौनाची.
 
ती  स्वतःत  विस्कटलेली  इतरांकडे  लक्ष  नसायचा  तिचा,
तिला   गरज  होती  तेव्हा  कोणी  हातही  नव्हता मदतीचा.
 
निरागसपणा  चेहऱ्यावर  नव्हता  एक  राठपणा   आलेला,
पाठीवर   आभाळ  पेलून  तिचा  ताठ  कणाझालेला.
 
ती   चेहरा  वैगरे  झाकत  नसे  उन्हाला घाबरून  बिबरुन,
उन्हालाच  घाम   फुटायचा  तिच्या  जवळ   आल्यावर  दरदरून.
 
तीही   होती  कधी  अल्लड , नाजूक ,  अगदी  मऊशार,
परिस्थितीच  करते  असा  कापसालाही  पेटता  अंगार.
 
तिला  लपून  बघायचीही   फारफार  भीती   वाटते,
आग  किती  भयाण  असते  हे  तिला  पाहिल्यावर  पटते.
 
ती  हसतच  नाही  कुणाशी  अगदी  रुक्ष  वाटते,
गर्दीत   उभी  असताना  अंधारातला वटवृक्ष  वाटते.
 
स्वतःला  जपताच   नाही  आलं  तिला  इतरांना  जपता  जपता,
घर   सुखात  ठेवण्यासाठी  तिचा  आनंदच हरवला  होता.
 
ती   जगत  होती  तिच्या  मागे  घेऊन  तिची  निंदा,
दोन   लहानग्या  पोटासकट अख्ख्या  घराची  पोशिंदा.
 
सुनं कपाळ , मोकळा  गळा ,  साधी  सलवार ,  हातात  रुमाल,
ती   रेखून  करत  होती  विस्कटलेल्या  आयुष्याची  वाटचाल.
 
तसं  सारंकाही  होतं  तिच्याजवळ   जे  लागतं   जगण्यासाठी,
नव्हती   ती  केवळ  तिला  आपलं  म्हणणारी  नाती.
 
मनाला  घालून  मर्यादा , बांधून  चौकट   ती  जगत  होती  कलंदर. 
सगळे   म्हणतात  तिला  राबस  पण  मला  दिसते   ती  सुंदर.
 
 ................अमोल

Marathi Kavita : मराठी कविता


Offline Pournima

  • Newbie
  • *
  • Posts: 42
  • Gender: Female
Re: एक दुर्लक्षित सुंदरी
« Reply #1 on: November 14, 2011, 12:07:05 PM »
shabdach nahit ya kaviteche kautuk karayla!!!!!1

Offline संदेश प्रताप

  • Jr. Member
  • **
  • Posts: 166
  • Gender: Male
  • स्वप्नं थांबवलीत तर आयुष्य थांबतं ,
    • Mazya kavita
Re: एक दुर्लक्षित सुंदरी
« Reply #2 on: November 14, 2011, 05:08:02 PM »
Bro.....U r always rocking.......Supperb ....:)

Offline Pravin5000

  • Jr. Member
  • **
  • Posts: 179
  • Gender: Male
Re: एक दुर्लक्षित सुंदरी
« Reply #3 on: November 22, 2011, 12:50:13 PM »
Jabardast yaar.....

 

With Quick-Reply you can write a post when viewing a topic without loading a new page. You can still use bulletin board code and smileys as you would in a normal post.

Name: Email:
Verification:
Type the letters shown in the picture
Listen to the letters / Request another image
Type the letters shown in the picture:
पन्नास गुणिले पाच किती ? (answer in English):