Author Topic: एक स्वप्न सजलेले!  (Read 3982 times)

Offline अमोल कांबळे

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एक स्वप्न सजलेले!
« on: July 21, 2011, 05:57:08 PM »
ओंजळीत  तुजीया,  फुलांनी  गर्दी  केली ,
गंध  पसरला  मोगर्याचा ,
वेणी  मध्ये  अडकली , भान  हरवून  गेली ,
विसर  पडला  जगाचा ,
मोगार्यासम  तू , मधाळ गंधाळ लेली ,
तुझ्या  मिठीत  न्हावी,  रात्र  अंधारलेली   ,
किती  पाहावे  भावूक  , डोळे  बोलणारे ,
शब्द  अंतरीचे,  पापणीत  सांडणारे ,
गुलाबापरी  राक्त्पिर्णी,   ओठांचे  बहाणे ,
अदा  मादक तयांची , क्षणात  जीवघेणे
श्वास  उबदार , मज  आर्त  साद  देई ,
येऊन  तू  मुक्याने,  अलगद  मिठीत  गेई
मी  अधीर  अधीर ,  जणू  पाऊस  दाटलेला
ओल्या  तुज्या  मिठीने,  मी  चिंब चिंब भिजलेला ,
तुझ्या  बेभान  सरींचा,  पाऊस  बरसणारा
वेचण्या  तृप्त  गारा, मी  अवखळ  बिलगणारा,
मुके  झाले  शब्द  सारे, श्वास  बोलू  लागले ,
तुझे  माझे  गोड  उसासे , एक स्वप्न  सजवू  लागले .
                                                              मैत्रेय (अमोल कांबळे)

Marathi Kavita : मराठी कविता


Offline jayashri321

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Re: एक स्वप्न सजलेले!
« Reply #1 on: July 22, 2011, 01:34:01 PM »
mast aahe re..
sooo romanticc...
 ;)  :D  ;D

 

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