इतर कविता
(क्रमांक-113)
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मित्र/मैत्रिणींनो,
"इतर कविता" अंतर्गत मी इतर कवींच्या कविता आपणापुढे सादर करीत आहे .
मंत्र्या परी येशील्…
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अरे भगवंत भेटुनिया मज काय देशील तू?
मंत्र्या परी येशील्, थोडा हासुन जाशील् तु.
प्रारब्ध जर आमुचे आम्हां आहे उपभोगायचे,
सांग तर आम्ही कशाला कुंकू तुझे लावायचे?
– भाऊसाहेब पाटणकर
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--संकलक-सुजित बालवडकर
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(साभार आणि सौजन्य-मराठी कविता.वर्डप्रेस.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-21.01.2023-शनिवार.
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