इतर कविता
(क्रमांक-21)
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मित्र/मैत्रिणींनो,
"इतर कविता" अंतर्गत मी इतर कवींच्या कविता आपणापुढे सादर करीत आहे .
(शिवाजी महाराजांच्या युद्धशास्त्रावरील “वेध महामानवाचा” ह्या सुंदर पुस्तकाच्या मलपृष्ठावरची कविता. कवि अज्ञात.)
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छातीत निर्भय श्वास दे
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छातीत निर्भय श्वास दे,
साथीस कणखर हात दे।
फुत्कारणार्या संकटांना
ठेचणारे पाय दे ।।
ध्येय दे उत्तुंग मंगल
अढळ कैलासापरी ।
कारुण्य निर्मळ वाहू दे
हृदयातून गंगेपरी ।।
दीनदुबळ्या रक्षणा रे,
शस्त्र दे माझ्या करी ।
दु:शासनाच्या दानवी
रुधिरांत धरती न्हाऊ दे।।
निष्पाप जे ते रुप तुझे
उमजूं दे माझे मला ।
धर्म, जाती, पन्थ याच्या
तोड आता श्रुंखला ।।
नवीन गगने, नवीन दिनकर,
नवीन चंद्राच्या कला,
या नव्या विश्वात तुझ्या
न्याय नीती नांदू दे ।।
छातीत निर्भय श्वास दे…
– अनामिक
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विशेष आभार – सृष्टीलावण्या
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संकलक- सुजित बालवडकर
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(साभार आणि सौजन्य-मराठीकविता.वर्डप्रेस.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-21.10.2022-शुक्रवार.