Author Topic: संदीप खरे ची एक अप्रतिम गज़ल  (Read 9772 times)

Offline gaurig

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  • हसते हसते कट जाये रस्ते, जिन्दगी यूही चलती रहे....
जुबा तो डरती है कहने से
पर दिल जालीम कहता है
उसके दिल में मेरी जगह पर
और ही कोई रहता है ॥ धृ ॥

बात तो करता है वोह अब भी
बात कहाँ पर बनती है
आदत से मैं सुनती हूँ
वोह आदत से जो कहता है ॥ १ ॥

दिलमें उसके अनजाने
क्या कुछ चलता रहता है
बात बधाई की होती है
और वोह आखें भरता है ॥ २ ॥

रात को वोह छुपकेसे उठकर
छतपर तारे गिनता है
देख के मेरी इक टुटासा
सपना सोया रहता है ॥ ३ ॥

दिलका क्या है,
भर जाये या उठ जाये,
एक ही बात...
जाने या अनजाने
शिशा टूटता है तो टूटता है ॥ ४ ॥

* संदीप खरे *


 

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पाच गुणिले पाच किती ? (answer in English):