स्पर्श

Started by SANJAY M NIKUMBH, April 21, 2013, 11:10:52 PM

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SANJAY M NIKUMBH

स्पर्श

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तुझा पुसटसा स्पर्शही

मनात प्रीत फुलवतो

प्रीतीच्या हिंदोळ्यांवर

तुझ्यासवे झुलवतो

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माझ्या मनाला तुझ्या

मनाचा स्पर्श झाला

उगीच नाही लागले

वेड माझ्या हृदयाला

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तुझ्या स्पर्शाला सखे

प्रेमाचा गंध येतो

कळले कां तुला

मी कां बेधुंद होतो

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तुझ्या नजरेचा स्पर्शही

मला खूप सुखावतो

तुझ्या मनातलं प्रेम

तोच मला दावतो

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तू अबोल राहूनही

तुझ्या मनातलं कळून जातं

नजरेतल्या स्पर्शावर

माझं मन भाळून जातं

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पहिला स्पर्श तुझ्या अन माझ्या

नजरेचाच झाला

डोकावलो तुझ्या डोळ्यात

अन घात झाला

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उगीच नाही माझं काळीज

दिलं मी तुला

तुझ्या हृदयाचा स्पर्श

झाला माझ्या हृदयाला

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मी आणलेलं फुलं

तुझ्या केसांत मी माळल

त्या स्पर्शान माझं प्रेम

न सांगता तुला कळलं

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तुझा स्पर्श सतत

माझ्यासोबत फिरत असतो

तू दूर आहेस

मला विसरायला लावतो

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तुझा स्पर्श होताच

मी देहभान विसरतो

कळत नाही इतकं कसं

तुझ्यावर प्रेम करतो

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उगीच नाही उधळली

सखे प्रीत तुझ्यावर

तुझा स्पर्श झाला मनाचा

अन जादू झाली मनावर

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संजय एम निकुंभ , वसई

दि. २१ . ४ . १ ३ वेळ : १० . १ ५ रा .