ना चाहते हुए भी…….

Started by Shona1109, April 22, 2013, 03:24:12 PM

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Shona1109

ना चाहते हुए भी.......

आजकल दिल खामोश रहता है
गुजरे हुए दिनों को याद करता है
फिर सोचकर चुप रहता है
जब आस ही नहीं है उसके आने की
...........तो इंतज़ार किस बात का ?
जो न था कभी हमारा
.....उसे याद करके क्या फायदा ?
ना चाहते हुए भी हम दिल दे बैठे है
एक अजनबी से प्यार कर बैठे है
तडपता है दिल एक मुलाकात के लिए
पर गम है के वोह अनजान है इस दर्द से
दिल की बैचेनी किसे कहे...?
आँखों की नमी किस किससे छुपाये...?
अब सहा नहीं जाता इस दर्द को
कैसे जोड़े बिखरे दिल को..?
ना चाहते हुए भी हम दिल दे बैठे है
एक अजनबी से बेपनाह मोहबत कर बैठे है
हर एक चेहरा अनजान लगता है
भीड़ में होकर भी अकेलापन लगता है
डर लगता है के, कही भटक ना जाये
बरसोंसे संभाले रिश्तों को तोड़ ना जाये
रातों की नींद, दिन का चैन खो बैठे है
ना चाहते हुए भी हम दिल दे बैठे है
एक अजनबी से हम अभीतक इश्क करते आये है

                                  ......... शोभना सावंत
   


मिलिंद कुंभारे

एक अजनबी से इश्क????

पहले जानो, पहचानो!!
फिर इश्क करो!!

छान कविता आहे! आवडली! :) :) :)

केदार मेहेंदळे