श्रावण

Started by kumudini, April 29, 2013, 04:06:54 PM

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kumudini



लवलवणारा   सळसळ नारा

प्रसन्न  वदना  श्रावण   आला


किंचित काळे   निळे  सावले 

अंबरात   या  जलद  मिळाले

ओंजळीतून   उधळीत  मोती 

प्रसन्न  वदना  श्रावण   आला

पायी  बांधून  नुपूर  सरींचे  ]

नाद  घुमवीतो  मंद  मधुरसे

नक्षत्राचा   बांधून   शेला


प्रसन्न  वदना  श्रावण   आला

शिरी   मुकुट  हा  इंद्रधनुचा 

शिरपेच चमकतो   रविकिरणा चा

रंग  घेउनी   विविध   फुलांचा

प्रसन्न वदना  श्रावण आला

जल  लहरीवर  आरूढ  होऊन 

मृद्गंधा मध्ये   न्हाउन

निसर्ग  नजराणा   सवे घेउन

प्रसन्न  वदना   श्रवण  आला

कुमुदिनी  काळीकर

मिलिंद कुंभारे

ओंजळीतून   उधळीत  मोती

पायी  बांधून  नुपूर  सरींचे

नाद  घुमवीतो  मंद  मधुरसे

नक्षत्राचा   बांधून   शेला

प्रसन्न  वदना  श्रावण   आला


apratim kavita aahe!!! :) :) :)

केदार मेहेंदळे


विक्रांत

पाडगावकरांना श्रावणात घननीळा भर उन्हाळ्यातच सुचली होती. :)

shashaank

अतिशय सुंदर.