रक्षक की भक्षक

Started by kumudini, May 07, 2013, 03:14:12 PM

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kumudini

   
जे  रक्षक  ते  भक्षक  झाले

ते  न्याय  कसा  करणार

गाळूनी  घाम  अंगीचा 

पिकवितो  मोती  दाण्याचा

जो  पोषक  जगताचा

दाण्याला  मोताद्च  झाले

गांधारी  न्याय  देवता

न्यायाधीश  धृतराष्ट्रा

सांगा  हे  न्याय  कुणाचा

काय  कसा  करणार

जो  नावाचा  बळी  राजा

जाहला  बळी  राजाचा

जाब  त्या  दुष्ट  राजाला 

कोण  कधी  पुसणार

बांधून  फास  तो  कंठी

मृत्यूस  घालूनी  मिठी

न्याय  तो  आपुला करण्या साठी 

                                कुमुदिनी  काळीकर

मिलिंद कुंभारे

पिकवितो  मोती  दाण्याचा

जो  पोषक  जगताचा

दाण्याला  मोताद्च  झाले  :( :( :(

खूप छान आहे कविता! :)

केदार मेहेंदळे