माझे पुण्यक्षेत्र

Started by kumudini, May 09, 2013, 03:38:30 PM

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kumudini

 
नकोच  मजला  कशी  अन  नकोच  रामेश्वर

पुण्यक्षेत्र  हे  माझ्यापाशी  माझे  पंढरपूर

विश्वेश्वर  हा  उभा  सावळा  इथे  विटेवर

चंद्रभागा  ही  गंगा  वाहे  त्याच्या  चरणावर

वनी जाऊनी  राखीतसे  हा  चोखोबाची  गुर

गोरोबाच्या  मडक्यांना  घडवून  देतो  आकार

नित्यच  असते  मायापाखर  भक्तांच्या वरी

बोरू  होऊन  ज्ञानेशाची  लिहितो  ज्ञानेश्वरी

नामाचाही  हट्ट  पुरवितो  चाखुनिया  खीर 

भक्ता साठी  सिद्ध  विठोबा  ठेउनिया  कटी  कर   

                                                                  कुमुदिनी काळीकर

मिलिंद कुंभारे



केदार मेहेंदळे