राम पार

Started by kumudini, May 17, 2013, 03:31:13 PM

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kumudini

 
तांबड  फुटल

झुंजूमुंजू  झाल

कोंबड  आरवील

जग  जागविल

कोटरात  पक्षी 

करीती  किलबिल

झेप  घेण्या  नभी

आतुरले मनी

गोठयात  गाई

वासराच्या  साठी

जाग्या  हम्बरल्या

पान्हा  देण्या  साठी

जळी  प्रतिबिंब 

रवि  किरणांचे

तेणे  जलाशय

झाले  कनकाचे

तडाग  फुलले

माण काचे   मळे

मंद  मंद  वारा

वर्षाव  मोती  दवाचा

असा  राम पार

चैतन्य  सागर

सुखाचा  वर्षाव

करी  चराचरी   

                     कुमुदिनी  काळीकर 

केदार मेहेंदळे