कारगील

Started by kumudini, May 28, 2013, 03:56:50 PM

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kumudini

 

सीमेवर  शत्रू  दिसता

वीर  अमुचे  पेटून  उठती

घेऊनी  हात  तो  हाती

दोस्तीची  भाषा  ओठी

खंजीर  खुपसती  पाठी

त्या  शत्रूस  चिरडण्या  साठी

वीर  अमुचे  पेटून  उठती

हे वंशज  शिवरायाचे

झाशीच्या  रण राणीचे

त्या वीर   महाराण्याचे

गद्दारा  पळविण्या साठी

वीर  अमुचे  पेटून  उठती

तो  पवित्र  हिमालय  अमुचा

जो  ललाम  भूमातेचा

तो अपवित्र  जयांनी  केला

ती  आग  विझविण्यासाठी

वीर  अमुचे पेटून  उठती

घातला  सडा  रिपु  रक्ताचा

विझविण्या  हिमाच्या  ज्वाला

शत्रूच्या  कापूनी  माना

हा देश  रक्षण्या साठी

वीर  अमुचे  पेटून  उठती

ते अमरच  असती  जगती 

जे झुंजले  मातृ भूसाठी

हे  वंदन   त्यांच्या साठी

संगरी  शहीद  जे  झाले

त्या  अमुच्या  विरा  साठी

वीर  अमुचे  पेटून  उठती

                                    कुमुदिनी  काळीकर

केदार मेहेंदळे

kavita chan aahe..pan pratyek kadav vigal lihayla hava.

कवि - विजय सुर्यवंशी.

Chan! Vapar kelela ahe upmancha.a

मिलिंद कुंभारे