कार्तिक

Started by kumudini, June 02, 2013, 09:16:58 PM

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kumudini

                               
थंडी  कर्तिकस  बहर  ये  फुलास
आसमंत  दरवळला
पहाट वेळी  ताटव्या तळी
प्रसवल्या  कळ्या
त्या  गंधाने  गगनी  रविराज  जगला
पव नाच्या  हिंदोळ्यावर
झुलत  उगवला     
दव बिंदूचे  आच्छादन
तृणावरुन  लोपले
मखमाली  हिरवळीने
स्वरूप  बदलले
टाळांच्या   नादावर  कुणी
गाई  काकडारती
मंदिरातला  मधुर  नाद
मनी  घुमत  राहिला   
                                      कुमुदिनी  काळीकर

rudra


Maddy_487


मिलिंद कुंभारे


कवि - विजय सुर्यवंशी.


केदार मेहेंदळे


sweetsunita66

 :)कविताछान आहे