हताश गंगा

Started by kumudini, June 13, 2013, 08:43:09 PM

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kumudini

गंगेची  गटार  गंगा  केल्य्च्या   पार्श्व भूमीवर  गंगेची  विमनस्कता
हताश  गंगा

मी  गंगा  पाप  विनाशिनी
कधीच  विसरून  गेले
भगीरथा  शरण
तुला  मी  आले
तरण्यास  तव  पूर्वजास
भूवर  तू  आणीलेस
ते  सारे  तरुनी  गेले
अन  माझे  बघ
बघ  काय  असे  झाले
पापी  ते बहुतची  तरले
पापी  मी  आकंठ  बुडाले
मत्स्थानी  मजसी  ने
म्हणूनी  तुजसी  आर्जविले
                                 

कुमुदिनी   काळीकर

मिलिंद कुंभारे


sweetsunita66

 :) :)गंगा बचाव अभियाना साठी छान लिहिलं