श्रावणमास (व्रत वॆकल्याचा)

Started by aap, June 15, 2013, 03:33:24 PM

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aap

श्रावणमास (व्रत वॆकल्याचा)

श्रावणमास येता येते माहेराची सय

माझ्या मनीचा ग मोर नाचू लागे थुय थुय

श्रावणाच्या ऊनसरी

हिरवीगार श्रुष्टी करी

पंचमीच्या हिंदोल्यावर

मन माझे फेर धरी

      नव्या नवतीची मंगळागॊर

पूजा करिती सुहासिनी

फुगड्या झीम्मा खेळूनिया

रात्र जागवती सार्या नारी

            जिवतीच्या शुक्रवारी

  सुहासिनीची ओटी भरी

दुग्ध शर्करा आणि फुटाणे

हळदी कुंकवा बोलविती नारी

          श्रावण मासाचे काय वर्णू मी गुण

मम आनंदा येतसे उधाण

श्रावणमास सरता सरता

मनी मात्र हूर हूर

                            सौ . अनिता फणसळकर                                   

मिलिंद कुंभारे